SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ PostsaxsmsstesesxSIASTASYesKusterusestasASTAsTesiress केन्द्र द्वारा मुनिवर के आशीष से ही डेढ़ वर्ष की अल्पावधि में अनेकों ग्रन्थों का प्रकाशन किया जा चुका है। इसी क्रम में "पासणाहूचरिउ", एक समीक्षात्मक अध्ययन नामक शोध प्रबन्ध प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है, प्रस्तुत शोध प्रबन्ध सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर में हिन्दी प्रवक्ता के रूप में कार्यरत विद्वान् डॉ. सुरेन्द्र जैन भारती के योग्यता एवम् परिश्रम का सफल है, आपको प्रस्तुत ग्रन्ध पर रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा पी.एच.डो. उपाधि प्रदान की गयी है। हम भाई सुरेन्द्र जी के साहित्यिक अध्यवसाप के प्रति उन्हें साधुवाद।। ____ मैं पुन: अपनी विनवाञ्जलि एवम् श्रद्धा- भक्तिपूर्ण कृतक्षता अर्पित करता हूँ, परम-प्रभावक व्यक्तित्व के धनी. जैन संस्कृति के सबल संरक्षक एवम् प्रचारक परमपूज्य मुनिपुंगव सुधासागर जी महाराज के चरणों में, जिनकी अहेतुकी कृपा-सुधा के माध्यम से ही केन्द्र द्वारा अल्पावधि में ही समय व श्रम साध्य दुम्ह कार्य अनायास ही सम्पन्न हो सके। चूँकि पूज्य महाराजश्री का मंगल-आशीष एवम् ध्यान जैनाचायों द्वारा विरचित अप्रकाशित, अनुपलब्ध साहित्य के साथ जैन विद्या के अंगो पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में किये शोष कायों के प्रकाशन की और भी गया है, अत: हमें विश्वास हैं कि साहित्य उन्नयन एवम् प्रसार के कार्यों में ऐसी गति मिलेगी, मानो सम्राट् खाखेल का समय पुनः प्रत्यावर्तित हो गया हो। एक बार पुनः प्रज्ञा एवम् चारित्र के पुञ्जीभूत देह के पावन कमलों में सादर सश्रद्ध नमोऽस्तु। सुधासागर . चरण भ्रमर अरुणकुमार शास्त्री 'व्याकरणाचार्य' निदेशक, आचायं ज्ञानसागर वागर्थ विमर्श केन्द्र, ब्यावर (राज.)
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy