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________________ कुमार काल : भ, पार्श्वनाथ का कुमार काल तीस वर्ष था51 राज्य भोग : भ. पार्श्वनाथ ने राज्यभोग नहीं किया था।52 भ. पार्श्वनाथ का विवाह नहीं हुआ : जैन परम्परा के किसी भी ग्रन्थ में भ. पार्श्वनाथ के विवाह की सूचना नहीं मिलती है। जैन अनुयायियों में भी "पंच बालयति' में से एक प. पार्श्वनाथ को मान्यता दी गई है। ___ रइधू फल पासमाहवार में पाव द्वारा अर्ककीर्ति को उनकी पुत्री प्रभावती के साथ विवाह हेतु स्वीकृति देने का उल्लेख आया है,53 किन्तु तभी नाग-नागिनी का प्रसंग उपस्थित हो जाने और तजन्य वैराग्य से उनके विवाह का कार्य सम्पन्न नहीं हो सका। भ, पार्श्व के वैराग्य का कारण : जिस प्रकार प्रत्येक तीर्थकर के वैराग्य में कोई न कोई कारण अवश्य रहा, उसी प्रकार पार्श्व के वैराग्य में भी कुछ कारण मिलते हैं। उत्तरपुराण54 के अनुसार - "पार्श्व जब तीस वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके तब अयोध्या के राजा जयसेन द्वारा उनके पास एक भेंट दूत के माध्यम से भेजी गई। पार्श्वनाथ ने जब उस दूत से अयोध्या की विभूति के बारे में पूछा तो उस दूत ने पहले ती अयोध्या में उत्पन्ना प्रथम तीर्थङ्कर भगवान ऋषभदेव का वर्णन किया और फिर अयोध्या के अन्य समाचार बताए। भ. ऋषभदेव के वर्णन से पार्श्व को जातिस्मरण हो गया और वे संसार से विरक्त हो गए।" पार्श्वपुराण में भी यही उल्लेख है।55 महाकवि रइधू ने पार्श्व के वैराग्य का कारण कमठ तपस्वी के साथ हुई घटना तथा सर्प सर्पिणी की मृत्यु को पार्श्व की वैराग्य भावना का 51 तिलोयपण्णती 4/584, उत्तरपुराण 73/119, रइ : पास. 2/15 52 तिलोयपण्णत्ती 4/603 53 रइधू : पासणाहरिउ 3:11 54 उत्तरपुराण 73:119 से 124 55 भूधरदास : पावपुराण 7.74 से 72
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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