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की आयु भोगकर वैशाख कृष्णा द्वितीया के दिन वामा देवी के गर्भ में अवतरित हुआ।
तिलोयपारणती में भगवान् पार्श्वनाथ को प्राणत कल्प से अवतरित माना गया है। उत्तरपुराण में भी अच्युतस्वर्ग में प्राणत विमान में इन्द्र होने का उल्लेख मिलता है। इस विषय में मतैक्य नहीं है। भगवान पार्श्वनाथ के माता-पिता :
भगवान पार्श्वनाथ के माता-पिता के नामों के सम्बन्ध में आगम ग्रन्थों में समानता नहीं मिलती। 'तिलोयपण्णत्ती' में पार्श्वनाथ के पिता का नाम अश्वसेन और माता का नाम वर्मिला बताया गया है।10 श्वेताम्बर ग्रन्थ समवायांग11 और आवश्यक नियुक्ति12 में पार्श्व के पिता का नाम "आससेण" तथा माता का नाम "वामा" बताया गया है। उत्तरपुराणकार ने पार्श्व के पिता का नाम "विश्वसेन" और माता का नाम "ब्राह्मी" बताया है।13 संस्कृत पार्श्वनाथ चरित के रचयिता श्री वादिराज ने पार्श्व के पिता के नाम के लिए तो उत्तरपुराण का ही अनुसरण किया किन्तु माता का नाम "ब्रह्मदता" बताया है।14 महाकवि रइधू ने पार्श्व के पिता का नाम अश्वसेन और माता का नाम वामा बताया हैं;15 किन्तु कहीं-कहीं हयसेन16 भी आया है। मेरी दृष्टि में "अश्व" और "हय" दोनों समानार्थी हैं अत: कोई भेद नहीं किया जा सकता। 'पद्मपुराण' में पार्श्व की माता का नाम वर्मा17 है, किन्तु ऐसा प्रतीत होता हैं कि "वर्मिला" या "वर्मा" शब्द "वामा" को संस्कृत में रूपान्तर करने का परिणाम है। आधुनिक लेखक अश्वसेन और वामा को ही मान्यता प्रदान करते हैं।
7 पासणाहचरित (रइधू) 2:5 8 तिलोयपत्ती 4:524 9 उत्तरपुराण 73/68 10 तिलोयपण्णत्ती 4/548 11 समवायांग 247 12 आवश्यक नियुक्ति 388 13 उत्तरपुराण 7374 14 श्री पार्श्वनाथ चरित (वादिराज) 9.95 - 15 पासणाहूचरिठ (रइधू) 1/10 16 बही 2/7 17 पद्मपुराणे विर्शतितम पर्व/59, पृ. 427