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________________ भ, पार्श्वनाथ का वंश : महापुराण18 एवं तिलोयपण्णति19 में भ. पार्श्वनाथ के वंश का नाम "उग्रवंश" बताया गया है। उत्तरपुराण20 में पार्श्व के पिता को "काश्यपगोत्री" कहा गया है। 'आवश्यक नियुक्ति' के सन्दर्भ में पार्श्व को काश्यप गोत्री माना जा सकता है, क्योंकि इस ग्रन्थ में मुनिसुव्रत तथा अरिष्ट नेमि तीर्थङ्करों को गौतम वंश का कहकर शेष सभी तीर्थङ्करों को "कासवगुत्त' अर्थात् 'काश्यपगोत्री" कहा गया है।1 श्री देवसूरि ने सिरिपासनाहचरियं में आससेण (पा के पिता) को ''इक्ष्वाकुकुलोत्पन्न" बताया है।22 'त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरितम्' में भ. पार्श्व के वंश का नाम इक्ष्वाकु ही मिलता है23 वादिराज सूरि तथा रइधू ने पार्श्व के वंश का कोई कथन नहीं किया है। 'समवावांग' और 'कल्पसूत्र' भी इस विषय में मौन ही हैं। भ. पार्श्व का जन्मस्थल : ___ भ. पार्श्वनाथ का जन्म किस नगर में हुआ था, इस बात पर दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों परम्पराओं के सभी लेखक एकमत हैं। सभी ने काशी देश की वाराणसी नगरी को ही इनका जन्म स्थल स्वीकार किया है। जम्बूद्वीप की । जो दस राजधानियाँ थीं; वाराणसी उन्हीं में से एक थी24 विशेष पुष्टि के लिए तिलोयपण्णत्ति25, पद्मपुराण26, समवायांग27, उत्तरपुराण28, पासणाहचरिउ29 . आदि देखे जा सकते हैं। आज भी वाराणसी भ. पार्श्व के जन्म स्थान के रूप में पूजी जाती है। 18 महापुराण : पुष्पदन्त 4:22 23 19 तिलोयपत्तो 4:550 20 उत्तरपुराण, पर्व 73/75 21 आवश्यक नियुक्ति 381 22 सिरिपासनाहचरियं, पृ. 135 23 त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम्, पृ. 93-94 24 स्थानाङग 995 25 तिलोयपणनी 4/548 26 पद्मपुराणे विंशतितमं पर्च, श्लोक 59, पृ. 427 27 समवायांग 250/24 28 उत्तरपुराण 73/75 29 पासणाहचरिउ (रइधू) 2/1
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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