________________
का नाशक भास्कर, सरोवर में क्रीड़ा करते हुए मीन युगल तथा आकाश में पल्लवशोभित घट युगल को देखा। और भी, विमल जल से युक्त कमलाकर, जलवर समूहों से चपल रत्नाकर, स्त्रमय सिंहासन एवं आता हुआ शक्र विमान देखा । बहुशोभासम्पत्र नागालय, आश्चर्यचकित करने वाला रत्न पुञ्ज, निर्धूम एवं सीधी शिखा वाली अग्नि देखी
पूछने पर राजा अश्वसेन ने उपर्युक्त स्वप्नों का फल इस प्रकार कहा- तुम्हारा पुत्र सन्त होगा, जो भव रूपी भुजङ्ग के विष के लिए गारुड़िक मन्त्र के समान होगा।
1. हाथी के स्वप्रदर्शन का यह फल है कि वह गुरुओं का गुरु एवं ज्ञान का सागर होगा ।
2. वृषभ के देखने का फल यह है कि वह अतुलित बल एवं शक्ति का घर होगा ।
3. सिंह के दर्शन के फलस्वरूप तह (यौन) काल में भी शील के भार का निर्वाहक एवं दूसरों के साथ संसार को पार उतारने वाला होगा। 4. लक्ष्मी के दर्शन से वह समवसरण में निवास करेगा।
युक्त
5. युगल पुष्पमाला के दर्शन से वह श्रेष्ठ यशरूपी प्रकाश से 6. चन्द्र दर्शन से वह समस्त कलाओं का स्वामी होगा। भास्करदर्शन से वह लोकालोक को प्रकाशित करेगा ।
7.
8. मीन युगल के दर्शन से वह तप-विलास में क्रीड़ा करेगा।
9. घट युगल के दर्शन से वह नवनिधि रूपी लक्ष्मी का निवासस्थल बनेगा।
10. कमलाकर के दर्शन से वह शिव सुख का स्थान होगा।
11. रत्नाकर दर्शन से वह सर्वप्रधान होगा।
12. स्वर्णसन के दर्शन से वह त्रैलोक्य का स्वामी बनेगा।
होगा।
13. इन्द्र विमान के दर्शन से वह इन्द्र द्वारा सेवित होगा।
14. नागालय के दर्शन के फलस्वरूप ( वह ऐसा महान होगा कि ) इन्द्र भी उसे प्रणाम करेगा।
15. रत्न पुज के दर्शन से वह मोक्षलक्ष्मी से रमण करेगा।
33 प्रासणाहचरित 2/3
pestestestes) 147 (spits