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________________ ही प्रकट कर सकते हैं उसके मनोभावों को व्यक्त करने में सहायक नहीं हो सकते। उसके मनोभावों की जानकारी तो संवाद अथवा कथोपकथन से ही मिल सकती है। महाकवि रइधू की रचनाओं की एक प्रमुख विशेषता उनके संवादों की उत्कृष्टता रही है, जिसके लिये वे प्रसिद्ध भी हैं। म, पार्श्वनाथ से सम्बन्धित जितने भी चरित काव्य आज सामने हैं उनमें संवादों की दृष्टि से सर्वाधिक सफल महाकवि रइधू कृत "पासणाहचरिउ" ही है। महाकवि रइधू के संवाद सम्बन्धित पात्रों के क्रियाकलाप व चारित्रिक गुणों जैसे - कर्मठता, त्याग, उदारता, दया, स्नेह, वात्सल्य आदि प्रवृत्तियों को उजागर करने में पूर्णतया सक्षम हैं। "पासणार पारे " के कु टि संवाद कार , (1) काशी नरेश अश्वसेन और अकंकीर्ति के दूत का संवाद : काशी नरेश अश्वसेन की सभा में कुशस्थल नरेश राजा अर्क कीर्ति का दूत आता है78 और वह अपने आने के अभिप्राय को तुरन्त प्रकट न कर, उसे भावनात्मक रूप देते हुए सर्वप्रथम अर्ककीर्ति के पिता शक्रवर्मा की संसार से विरक्ति और दीक्षा ग्रहण का सुखदायक समाचार सुनाता है79 और फिर तुरन्त ही अर्ककीर्ति को यवन नरेश द्वारा दी गयी धमकी और अनीति यक्त शतों के विषय में बताता है80 तो जिससे प्रथम आनन्द का संचार हुआ था वहीं अश्वसेन क्रोधाभिभूत भी हो जाते हैं।81 इस प्रसंग को दूत इतने सशक्त रूप में प्रस्तुत करता है कि अश्वसेन रणक्षेत्र में ससैन्य जाने के लिए तैयार हो जाते हैं|2 प्रस्तुत संवाद से हमें पता चलता है कि रइधू को मानवीय सम्बन्धों की अत्यन्त जानकारी थी और यही कारण है कि वे अर्ककीर्ति के अपमान को अश्वसेन का अपमान जतलाने में समर्थ होते हैं तथा कथानायक को भी अपना पराक्रम दिखाने का अवसर प्राप्त हो जाता है। 78 पास. 3/1 79 वहीं 3/1/4-14 80 वही 3/2 81 वही 3/3/11-12 82 वही 3/2/1-10
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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