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________________ BARAKAMBA assistente assesses "तहिँ जणमणहारी सुरह पियारी ... वाणास - धरी यासए । रयणेहिँ पमंडिय इरि-अखंडिय-गेहहिँ णं सग्गल हसए । '23 अर्थात् उस काशी देश में जनमनोहारी तथा देवों के लिए प्रिय वाराणसी नाम की नगरी स्थित है, जो रत्नों से अलंकृत तथा वैरियों द्वारा अखण्डित है, जो अपने भवनों की शोभा से मानो स्वर्ग का उपह। । करती है। कवि ने काशी की भौगोलिक स्थिति को ही मानो सामने रख हुए कहा है कि - इसी जम्बूद्वीप में सुमेरुपर्वत के दक्षिण में लक्ष्मी के घर के समान भारतवर्ष में काशी नामक सुखकर देश हैं, जो मानो पृथ्वी रूपी युवती का सुखपूर्वक पोषण करने वाला वर ही हो24 वहाँ के मनुष्य दयालु एवं स्त्रियाँ अत्यधिक रूप राशि से युक्त हुआ करती थीं। वहाँ सर्वत्र सुख व्याप्त था। वहाँ का राजा न्याय और सद्गुणों में विश्वास रखता था 25 पोदनपुरा : ___कवि रइधू ने "पासणाहचरिउ" की 6त्री सन्धि में इसका उल्लेख किया है। पोदनपुर सुरम्य देश का प्रधान नगर था। पोदनपुर नगर की सुन्दरता का वर्णन करते हुए कवि ने लिखा है कि - वहाँ के मनुष्य विनम्र , व्रतों को 'मानने वाले, शान्त प्रकृति वाले27 हुआ करते थे। वहाँ हिमवन्त कट के समान ऊँचे-ऊँचे भवन हैं।28 उस नगर में उपवन, सरिता, सरोवरों की अधिकता थी। वहाँ के राजा शत्रुओं को परास्त करने वाले एवं यशस्वी थे। स्त्रियाँ शीलवती29 एवं मधुरभाषिणी30 हुआ करती थीं। दुराचारी एवं व्यभिचारी व्यक्तियों को नगर से निकाल दिया जाता था। तत्कालीन राजा अरविन्द द्वारा कमठ को नगर से निकाला जाना, इसी बात की पुष्टि करता -- ---. .-. - .- --...- 23 पास. पत्ता 24 पास. 119 25 वहीं धत्ता - 126 26 पास. 61:10 27 पास,6.1 28 वही 61 29 वही 61 30 वही 6.3 31 वहीं 6/३
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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