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________________ कन्नौज : ___ हर्ष की राजधानी के रूप में प्राचीन काल से ही यह नगरी प्रसिद्ध रही है। सम्राट हर्षवर्धन ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाकर चक्रवर्तित्व स्थापित किया था। कन्नौज में ही संस्कृत के प्रसिद्ध कवि बाणभट्ट ने कादम्बरी और हर्षचरित जैसे महनीय ग्रन्थों की रचना की थी।34 कन्नौज बहुत दिनों तक संस्कृत कवियों का आश्रय दाता रहा है। अत: संस्कृत काव्य के प्रणयन में जितना महत्त्व उज्जयिनी का है, उतना ही कन्नौज का भी।35 अयोध्या : प्राचीन अयोध्या नगरी कौशल-देश में थी। अयोध्या नगरी धन-धान्य से युक्त थी। प्रजा धर्मपरायण थी। वहाँ विशाल भव्य अनेक जैन मन्दिर थे। उस समय मन्दिरों में भगवान की मूर्ति की स्थापना करवाना पुण्य कार्य माना जाता था। वह नगरी अन्य शत्रुओं के द्वारा दुर्लंघ्य थी और स्वयं अनेक योद्धाओं से भरी हुई थी, इसीलिए लोग उसे अयोध्या ( जिससे कोई युद्ध नहीं कर सके) कहते थे। उसका दूसरा नाम विनीता भी था और वह आर्यखण्ड के मध्य में स्थित थी, इसलिए उस की नाभि के समान शोभायमान हो रही थी 97 अहिच्छत्रा नगर : अहिच्छत्रा उत्तर पञ्चाल की राजधानी थी। भागीरथी नदी उत्तर एवम् दक्षिण पञ्चाल के मध्य विभाजक रेखा थी। वैदिक ग्रन्थों में पञ्चाल देश का पूर्वी एवम् पश्चिमी पञ्चाल के रूप में वर्णन किया गया है। इसका समर्थन पतञ्जलि ने अपने महाभाष्य में किया है। दिव्यावदान के अनुसार उत्तर पञ्चाल की राजधानी हस्तिनापुर थी किन्तु कुम्भकारजातक में कम्पिल्लपुर को 32 वहीं 5/115 33 मेहता : प्राचीन भारत - (वाराणसी 1933) पृ. 246 34 वही पृ. 247 35 रइधू साहित्य का आलोचनात्मक परिंशोलन, पृ. 512 36 पास.6/17 37 महापुराण, पवं 34, श्लोक 70 38 पासणाहचरिउ 4/1
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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