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________________ ___ शनसन ने जिननाय की चन्दन पे चर्चा ( पूजा) की मानो भविष्य में होने वाले तीव्र ताप से अपने को दूर कर रहा होP2 इन्द्र ने पुष्पमाला लेकर वीतराग भगवान के पादमूल में स्थापित कर दिया। भानों कामदेव के बाण से ही भगवान के चरणों की पूजा की हो। निर्मल शालि बीजों की छोटी-छोटी ढेरियाँ लगा दी गयीं, मानो आकाश में सुन्दर धार्मिक नक्षत्र ही स्थिर हो गए हों। सूर्यकान्ति के समान दीस स्वर्णभाजन में चित्त को सुख देने वाला, धूमरहित शुद्धदीपक सजाकर इन्द्र दुन्दुभि के साथ अनुरागपूर्वक नृत्य करने लगा, मानो वह भी सहस्र भुजाओं से उन भगवान की पूजा कर रहा हो। धूपबत्ती से निकलने वाली ध्रुप आकाश में ऐसा सुशोभित हुआ जैसे मानो वह जीव लोक के लिए मोक्ष का मार्ग दिखा रहा हो। प्रचुरगन्ध से धूप खेई, यह ऐसी शोभायमान हुई, जैसे मानो भयातुर होकर जिन भगवान से पापराशि भाग रही हो।23 इन्द्र ने जिनेन्द्र को कुण्डल युगल मण्डित किया, मानो सूर्य एवं चन्द्रमा ही वहाँ जाकर शरण में बैठ गए हों24 जिनवर उत्तम देवों एवं मनुष्यों के साथ सभा के मध्य में विराजमान थे, उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता था, मानो त्रिदशेश्वर ही (वहाँ) स्थित हों25 चन्द्रमख नामक शस्त्र के द्वारा उसम धवल वर्ण के छत्र काट दिए गए, उससे ऐसा लगने लगा, मानो रणभूमि में कमल ही खिल उटे हों26 फहराती हुई ध्वजायें काट दी गयीं उससे ऐसा प्रतीत होता था, मानो पृथ्वी पर असत्तियों के वस्त्र ही पड़े हों। ____ दौड़ते हुए किसी (भट) को छाती में बींध दिया गया, मानो स्वामी के दान का फल ही सफल हो गया हो। शक्ति नामक अस्त्र के प्रहार से कोई-कोई भट (ऐसा) काट दिया गया, मानो भस्म शरीर से ही वह अपना जीवन धारण कर रहा हो27 22 चंदणेणगाह-पाय सकराऊ चच्चए। णं भविस्स तिब्ब ताउ बद्धराउ बंचए। 2013 23 पासणाहचरिङ 2:13 24 कुखलजुबलें मंडयउ संपि। णं रवि ससि सरण पट्ट गपि। 2:14 25 सुरणरवर सहियउ भुवाहिं महियउ ण महि थिउ तियसेसरु ।। 2/15 26 ससिगह खंडिय वरपुंडरीया णं रणहि फुल्लिय पुंडरीय। केयावलि खेडिय फरहरति असईव वसा भूमिहि सहति।। 317 27 को विधावंतु संमुहर करि विद्धक णांई सामिस्स दाणस्स फलु सिद्ध! | 3/8
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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