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________________ * चतुर्थ सर्ग . घनिर्मोक्ष इहाद्भ तान्मुनिवरः संसागते चक्रभृद्-- विज्ञायेति चतुःपदार्यगुणसंसिद्ध' विष वृषम् ।।१०५॥ धर्मादेव महत्पदं सुरनुतं पटखण्डजाः सम्पदः, सौख्यं स्त्रीनिकरोद्भव निरुपमं प्राप्तं च धर्मोदयात् । मत्वेतीह वृष जिनेन्द्रपदवं हिसोज्झितं धीधनाः, कु:ध्वं नितरां प्रयत्न चरणात्सर्वार्थसिद्धये ॥१०॥ धमों मामुको महो , व्यधुर्धामिका, धर्मेणाशु किलाप्यते शिववधूधर्माय भूर्मा नमः । धर्मान्नास्ति हितंकरों परमहरू धर्मस्य मूलं क्रिया, धर्म नित्तमहं दबे प्रतिदिन है धर्म मेऽयं हर ।।१०।।.. मालिनी सुरनिकरकिरीटानध्यमारिणश्यभाभि-वरणकमलयुग्म यस्य प्रयोतितश्च । गणधरमुनिसेव्यं पन्दितं पूजितं तं, जिनवरमहमोडे पार्श्वनाथं गुणाप्त्यै ।।१०।। प्रद्रत धर्म से मुनिवरों के द्वारा इस लोक में मोक्ष प्राप्त किया जाता है-ऐसा जानकर चक्रवर्ती धर्म अथं काम मोर मोक्ष इन चारों पदाथों की सिद्धि के लिये धर्म करता था ॥१०॥ धर्म से ही देखों के द्वारा स्तुत उच्च पद और षट्खण्ड में उत्पन्न होने वाली संपवाएं मिली हैं तथा धर्म के उदय से ही स्त्री समूह से उत्पन्न होने वाला अनुपम सुख प्राप्त हुआ है-ऐसा विचार कर हे विद्वज्जन हो ! समस्त प्रयोजनों को सिद्धि के लिये जिनेन्द्र भगवान का पर देने वाले हिसा रहित धर्म का प्रयत्न पूर्वक अत्यधिक पालम करो। भावार्ष-पहिसा धर्म ही सम सुखों का कारण है इसलिये उसका प्रयत्न पूर्वक प्राचरण करो ॥ १.६ ॥ धर्म समस्त सुख वायक तथा विविध पापों को हरने वाला है, पार्मिक लोग धर्म को करते हैं, धर्म के द्वारा शीघ्र मुक्तिरूषो स्त्री की प्राप्ति होती है, धर्म के लिये मैं शिर से नमस्कार करता है, धर्म से बढ़कर दूसरा हितकारी परम मित्र नहीं है, धर्म का मूल त्रिया-सदाचरण है, मैं प्रतिदिन प्रपना चित्त धर्म में लगाता है । हे धर्म ! मेरे पाप को नष्ट कर ॥१७॥ जिनके चरण कमलों का युगत, देव समूह के मुकुटों में लगे हुए अमूल्य मरिणयों की कान्ति से प्रतिशय वेदीप्यमान रहते थे, जो गणधर तमा मुनियों के द्वारा सेवनीय थे, 1. धर्मार्थकाममोक्षाः चत्वार पदार्थाः ३ विविधपापहरः ३. मे-मम, अधं-पापं ।
SR No.090346
Book TitleParshvanath Charitam
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorPannalal Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages328
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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