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________________ ५० ॐ श्री चरित बभूव श्रेयः पाकेने हान्यद्वा सारवस्तु मे । ज्ञात्वेत्येकं तनोत्युच्वं मं सम्राट् स सर्वदा ॥ १०१ ॥ वसन्ततिलका धर्माद्विना कुत इहाद्र तचक्रभूति-धर्माद्विना कुत इहातिसुखं गरिष्ठम् । धर्माद्विना कुत इहामरभूपमान्यं धर्माद्विना कुत इहालिलकार्यसिद्धिः ॥ १०२ ॥ १ धर्माद्विना कुत इहानुपमा सुकीर्ति-धर्माद्विना कुल इहात्यमला मुबुद्धिः । धर्माद्विना कुत इहातिसुधर्म वृद्धि - धर्माद्विना कुत इहाखिल भोगलाभः ॥ १०३ । धर्माद्विना कुत इहातिविवेक विद्या, धर्माद्विना कुत इहाशु सुवाञ्छितार्थः । मत्वेति स प्रतिदिनं भजते तमेकं धर्मं जिनेन्द्रगदितं सकलार्थसिद्धये ।। १०४॥ धर्मार्थचयो जगत्त्रयभवः शा' विक्रीडितम श्रीमतां, तस्मात्कामसुखं संजायते नृदेव जनितं सर्वेन्द्रियाह्लादकम् । भूत जो कुछ भी वस्तुएं मुझे इस लोक में प्राप्त हुई हैं वे सब पुण्य के उदय से प्राप्त हुई हैं ऐसा जानकर वह चक्रवर्ती सदा एक उत्कृष्ट धर्म को विस्तृत करता था । भावार्थ-निरसर धर्ममय आचरण करता था ।। १००-१०१ ॥ इस जगत् में धर्म के बिना चक्रवर्ती की अद्भुत विभूति कैसे मिल सकती है ? धर्म के बिना यहां श्रेष्ठ सुख कैसे प्राप्त हो सकता है ? धर्म के बिना यहां वेद और राजाओं के द्वारा मान्य पद कैसे मिल सकता है ? धर्म के बिना यहां समस्त कार्यों की सिद्धि कैसे हो सकती हैं ? धर्म के बिना यहां अनुपम उत्तम कोति कैसे प्राप्त हो सकती है ? धर्म के बिना यहां निर्मल सुबुद्धि कैसे मिल सकती है ? धर्म के बिना यहां सुधर्म को वृद्धि कैसे हो सकती है ? धर्म के बिना यहां समस्त भोगों की प्राप्ति कैसे हो सकती है ? धर्म के बिना यहां अत्यधिक विवेक से युक्त विद्या कैसे मिल सकती है ? और धर्म के बिना यहां प्रत्यन्त अभिलषित पदार्थ शीघ्र ही कैसे प्राप्त हो सकता है ? ऐसा मान कर वह प्रतिदिन समस्त प्रयोजनों को सिद्धि के लिये एक जिनेन्द्र प्रतिपादित धर्म की आराधना करता था ।। १०२-१०४।। धर्म से बुद्धिमानों को त्रिलोक सम्बन्धी अर्थी का समूह प्राप्त होता है, धर्म से समस्त इन्द्रियों को हर्षित करने वाला मनुष्य और देव सम्बन्धी काम सुख उपलब्ध होता है और
SR No.090346
Book TitleParshvanath Charitam
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorPannalal Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages328
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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