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________________ पाश्वाभ्युदय अभिगम्य । मध इदानीम् । 'अद्यावानि' इत्यमरः । युखं सङ्ग्रामम् । याचे प्रार्थये । सुभट हे महावीर । पकं त्वमेव त्वकं भवान् । बोरप्रथमगणमाम् कोरेष शरेषु प्रथमामाद्याम् गणना सारूपाम् । आप्तुकाम: आप्तुमिच्छन् । चेत् यदि भवः । 'पक्षान्तरे चैद्यदि च' इत्यमरः । पूर्वप्रीत्या कमठमाभूतिमवप्रेम्णा । मे मम । 'ते मयायकत्ये' इति अस्मदो मे इत्यादेशः । प्रायमो याचनाम् । सफला फलसहिताम् । विषम फुहाव । 'डुवान धारणे' च लेट् । तथाहि । अधिगुणे अधिकगुणे पुरुषे याचा प्रार्थना मोघो निरर्थकापि । 'मो, निरर्थकम्' इत्यमरः । वरं सम्यक् । 'क्लीवे तु कुंकुम श्रेठेत्रिष्येतेष्वव्ययं वरम्' इति भास्करः । अषये निकृष्टे । लरुषकामा प्राप्ताभिलाषापि । 'कामोऽभिलाषस्तषश्च' इत्यमरः । न वरं न सम्पा .१७॥ अन्धय-तस्मात् ( है ) सुभट ! खक वीरप्रथमगणनां आप्तुकामः चेत् पूर्वप्रीत्या में प्रार्थना सफलां विधत्स्व । त्वं परमपुरुषं अब अभिप्राय कालात् सुद्ध याचे । अधिगुणे याचा मोत्रा न, अधमे लन्धकामा न । यहा अधिगुणे मोषा याचा वर, अधमे लवकामा वर न। अर्थ-अतः हे सुभट ! दयालु यदि तुम यदि वीरों में प्रथम गणना प्राप्त करना चाहते हो तो पूर्वभव की प्रोति से मेरी प्रार्थना को सफल करो। तुम्हें महापुरुष जानकर आज समय पाकर युद्ध को प्रार्थना करता हूँ। अधिक गुण वाले व्यक्ति से की गई प्रार्थना विफल नहीं होती है, नोच व्यक्ति से की गई प्रार्थना सफल नहीं होती है। अथवा अधिक गण वाले व्यक्ति से की गई प्रार्थना विफल हो जाय तो भो अच्छा है, किन्तु नीच व्यक्ति के प्रति की गई प्रार्थना सफल भी हो जाय तो भी ठीक नहीं है। व्याख्या--यदि वास्तव में तुम शूरवीर हो तो मेरी युद्ध की प्रार्थना को स्वीकार करो। मैं यक्ष तुम्हें बड़ा मानकर हो तुमसे याचना कर रहा हूँ, क्योंकि अधिक गुण वाले के प्रति की गई प्रार्थना विफल नहीं होती है। अथवा विफल हो जाय तो भी अच्छा है। नीच व्यक्ति के प्रति की गई प्रार्थना सफल नहीं होती है और सफल हो जाय तो भी ठीक नहीं है। जेतुं शक्तो यदि च समरे मामभीक प्रहत्य, स्वर्गस्त्रोणामभयसुभगं भावुकत्वं निरस्यन् । पृथ्ख्या भक्त्या चिरमिह वहन राजयुद्ध्वेतिरूलिं, सन्तप्तानां त्वमसि शरणं तत्पयोवप्रियायाः ॥ २५ ॥
SR No.090345
Book TitleParshvabhyudayam
Original Sutra AuthorJinsenacharya
AuthorRameshchandra Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages337
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size7 MB
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