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प्रस्तावना
४. मैना को प्रियतम का स्मरण दिलाना ।
५. वीणा को गोद में रख करुणरस प्रधान गीत को बनाते हुए प्रिय के नाम से युक्त गीत को ऊंचे स्वर से गाना अथवा गाने की इच्छा करना ।
६. देहली पर रखे हुए फूलों से पति के आने के अवशिष्ट दिनों आदि की
गणना करना |
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७. स्वप्न में मन के सरूप से प्रियतम के साथ सम्भोग करना ।
८. सखियों द्वारा भय पूर्वक विश्वास को प्राप्त होना ।
मेघ से इस प्रकार की वियोगिनी प्रियतमा के देखने की प्रार्थना की गई है
१. फैले हुए बङ्ग युक्त
२. फूलों को शय्या पर स्थित होने पर भी सुख रहित ।
३. भूमि पर शयन करने वाली ।
४. कामदेव की शरीरी अवस्था को धारण की हुई ।
५. मन की वेदना से क्षीण ।
६. विरह को शय्या पर एक करवट से लेटने वाली ।
७. चन्द्रमा की एक कला से अवशिष्ट मूर्ति के सदृश ।
८. विरहजनित ह के दाह को दूर करने के लिए वक्षःस्थल में स्थापित
हार को धारण करती हुई ।
९. गर्म आँसुओं की गिराती हुई ।
१०. गर्म साँस छोड़ती हुई ।
११. तैलादि से रहित स्नान के कारण कठोर स्पर्श वाले वालों को पुनः
पुनः दूर करती हुई ।
१२. वियोग के दुःख से दुःखी ।
१३. स्वप्न में प्राणनाथ के समागम को पाने लिए निद्रा को चाहती हुई । १४. प्रिय के द्वारा पहले बांधी गई शिखा की निश करती हुई ।
१५. वेणी को बिना कटे हुए नाखूनों से युक्त हाथ से गालों पर से बार
बार हटाती हुई 1
१६. चन्द्रमा की किरणों की ओर से नेत्रों को हटाती हुई ।
१७. नेत्रों को बरोनियों से उकती हुई ।
१८. मेघों से ढके हुए दिन में स्थल कमलिनी के समान न विकसित और न अविकसित |
८४. ० ३।४२-५३