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प्रस्तावना
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वहीं स्वच्छ
जाम के कुजों से उपरुद्ध वेग वाला, ऊपर से गिरते हुए भरने के जल के तुल्य, तुरहित होने से मुनिजनों के द्वारा प्रार्थनीय, स्वाद, सुगन्धित और बोतल ४५ दशार्णं जनपद के अग्रभाग में विकसित केतकी के फूलों से पीले प्राचीर से युक्त बगीचों सहि, कलुषित जल से भरे हुए, शालिधान्य के उसति क्षेत्रों से युक्त तथा रमणीय उद्यानों वाले हैं । त्रिविशा नगरी में मनोहर धूप के धुएं से जिनका शरीर सुगन्धित है ऐसी वेदवाएँ सुरतक्रीड़ा में रत रहती हैं। और सुगन्धित बावड़ियाँ है ।४८ नोच नामक पर्वत पर सिद्ध स्त्रियाँ रति क्रीड़ा करती हैं। प्रोड़ पुष्पों वाले कदम्ब खिले हुए हैं तथा नागरिकों के लताओं से निर्मित बेकार मण्डप है । उसकी रमणीय अधिरिका में शिखर से गिरते हुए झरनों की शोभा बहुत सुन्दर लगती हैं। 40 उज्जयिनी की पोराङ्गनाओं के कटाक्षपातों से युक्त लोचनों से यदि मेघ रमण नहीं करता तो उसे नेत्रवान् होने का फल नहीं मिलेगा । निर्विन्ध्यानदी के किनारे बैठे हुए पक्षी उसकी करनी के समान लग रहे हैं। वह अपने नाभि के सदृश भंवरों को दिखला रही है । वह पत्थरों पर गिरने के कारण ननोहरता के साथ बहती है। सिन्धु नदी वेणी के समान थोड़ा जलवाली तथा किनारे पर उगे हुए वृक्षों के पत्तों के 'गिरने से पीले वर्ण वाली है। वह कामिनी के समान परित्यक्त वस्त्र वाली होकर हंसों की आवाजों से मानों मेघ को बुला रही हैं। 43 अवन्ति देश में बूढ़े लोग उनकी कथाओं के जानकार हैं । ५४ उज्जयिनी नगरी लक्ष्मी की निवासभूमि तथा घनियों को एकमात्र जननी है। महाकाल वन के मध्य कलकल नामक जिनालय है ।"" महाकालवन में श्वेतवस्त्रपारी सावकमूह ह्र फुंकार रूप
४५. जिनसेन पादभ्युदय १ ॥७८
४६. वही १८९
४७. वही १९४
४८. वही १९५
४९. वही १९८-९९
५०. वही १।१०१
५१. वहो १।१०४
५२. पाश्वभ्युदय १।१०५
५३. वही १।१०७
५४. वही १०१०१
५५. वही १।११०, ११५, ११६, ११७ ५६. वही २१९
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