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________________ राजनीतिक परिस्थिति ३५ के दिन जयपुर राज्य के तेतीस परगनों के नाम जारी हुअा था । वि० सं० १८२१ में ‘इन्द्रध्वज विधान महोत्सव' के नाम से एक विशाल और वैभवपूर्ण सार्वजनिक जैन महोत्सव कगया गया, जिसमें राज्य की ओर से पूरा समर्थन, सहयोग एवं सहायता प्राप्त हुई । राजा माधोसिंह के राज्यकाल में ही वि० सं० १८२३-२४ में एक बार पुनः साम्प्रदायिक उपद्रव भड़के, जिनकी अंतिम परिमानि पं० टोडरमल के निर्मम प्रारणान्त के रूप में हुई। माधोसिंह के पश्चात् शासन पृथ्वीसिंह (१७६८-१७७७ ई०) के हाथ में पाया। उसके शासनकाल में वि.सं. १८२६ में फिर साम्प्रदायिक उपद्रवमा, जिसने जीनयों को अपार क्षति उठानी पड़ी। ' "हुक्मनामा- सनद करार मिति मंगसिर बदी २ संवत् १८१६ अप्रंच हद सरकारी में सरावगी वगैरह जैनधर्म साधवा वाला सं धर्म में बालबा को तकरार छो, सो याकों प्राचीन जान ज्यों का त्यों स्थापन करवो फरमायो छ सो माफिक हुक्म श्री हजूर के लिखा छ। बीसपंथ तेरापंथ परगना में देहरा बनायो व देव गुरु शास्त्र आगे पूजे छा जी भांति पूजी । घमं में कोई तरह की अटकाव न राखे । अर माल मालियत वगैरह देवरा को जो ले गया होय सो ताकीद कर दिवाय दीज्यो । केसर वगाह को आगे जहां से पाये छा तिठासू भी दिवावो कीज्यो । मिति सदर" - टोडरमल जयंती स्मारिका, ६४-६५ + "ए कार्य दरबार की प्राज्ञासू हुवा है । और ए हकम हुवा है जो थाकं पूजाजी के अधि जो बस्तु पाहिजे सो ही दरबार सूं से जादो । सो ए बाब उचित ही है । ए धर्म राजा का चलाया ही चाल है । राजा की सहाय विना पैसा महंत परम कल्याणरूप कार्य बरणे नाही । पर दोन्यू दिवान रतनचंद वा बालचंद या कार्य वि अग्रेश्वरी है । तातै विशेष प्रभावना होगी ।".... मिति माह बदी ६ सम्वत् १८२१" -इ० वि पत्रिका, परिशिष्ट ? 3 फुनि भई छब्बीसा के साल, मिले सकल द्विज लघुरविमान । द्विजन बादि बहमेल हजार, बिमा हुकम पाये दरबार । दोरि देहुरा जिन लिए लूटि, मूरति विबन बारी बहु फूष्टि ।। - बु० वि०
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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