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________________ ३१६ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व वे मुख्य रूप से आध्यात्मिक चिन्तक हैं, परन्तु उनके चिन्तन में तर्क और अनुभूति का सुन्दर समन्वय है। वे विचार का ही नहीं, उसके प्रवर्तक और ग्रहणकर्ता की योग्यता-अयोग्यता का भी तर्क की कसौटी पर विचार करते हैं । तत्त्वज्ञान के अनुशीलन के लिए उन्होंने कुछ योग्यताएँ प्रावश्यक मानी हैं। उनके अनुसार मोक्षमार्ग कोई पृथक नहीं प्रत्युत् आत्मविज्ञान ही है, जिसे वे वीतराग-विज्ञान कहते हैं। जितनी चीजें इस वीतराग-विज्ञान में रुकावट डालती हैं, वे सब मिथ्या हैं। उन्होंने इन मिथ्याभावों के गृहीत और अग्रहीत दो भेद किए हैं। गृहीत मिथ्यात्व से उनका तात्पर्य उन विभिन्न धारणाओं और मान्यताओं से है जिन्हें हम कुगुरु आदि के संसर्ग से ग्रहण करते हैं और उन्हें ही वास्तविक मान लेते हैं - चाहे वे पर-मत की हों या अपने मत की। इसके अन्तर्गत उन्होंने उन सारी जैन मान्यताओं का ताकिक विश्लेषण किया है जो छठी शती से लेकर अठारहवीं शती तक जैन तत्त्वज्ञान की अंग मानी जाती रही और जिनका विशुद्ध प्राध्यात्मिक ज्ञान से कोई सम्बन्ध नहीं रहा। जैन साधना के इस वाह्य आडम्बर - क्रियाकाण्ड, भट्टारकबाद, शिथिलाचार आदि का उन्होंने तलस्पर्शी और विद्वत्तापूर्ण खण्डन किया है। इनके पूर्व बनारसीदास इसका खण्डन कर चुके थे, परन्तु पंडितजी ने जिस चितन, तर्क-वितर्क, शास्त्र-प्रमाण, अनुभव और गहराई से इसका विचार किया है वह ठोस, प्रेरणाप्रद, विश्वसनीय एवं मौलिक है। इस दृष्टि से उन्हें एक ऐसा विशुद्ध आध्यात्मिक चिन्तक कहा जा सकता है जो हिन्दी-जैन-साहित्य के इतिहास में ही नहीं, बल्कि प्राडात व अपभ्रंश में भी पिछले एक हजार वर्षों में भी नहीं हुआ। धार्मिक आडम्बर और वाह्य क्रियाकाण्ड का विरोध और खण्डन सरहलाद, जोइन्दु, रामसिंह, नामदेव, कबीर, जाम्भोजी, नानक प्रादि सन्तों और कवियों ने भी किया था। उन्होंने स्वानुभूति पर भी जोर दिया, परन्तु पंडितजी ने जिस विशुद्ध शास्त्रीय और मानवीय दृष्टिकोण से प्राध्यात्मिक सत्य का विश्लेषण गद्य में किया है, बह मौलिक है। उनकी मूल दृष्टि सन्तुलन बनाये रखने व मूल लक्ष्य न छोड़ने की है।
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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