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________________ ३१४ पंडित दोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तव प्राकृत, संस्कृत और हिन्दी के अतिरिक्त उन्हें कन्नड़ भाषा का भी ज्ञान था। मूल ग्रंथों को वे कन्नड़ लिपि में पढ़-लिख सकते थे। उनका कार्यक्षेत्र आध्यात्मिक तत्वज्ञान का प्रचार व प्रसार करना था, जिसे वे लेखन-प्रवचन आदि माध्यम से करते थे। उनका सम्पर्क तत्कालीन आध्यात्मिक समाज से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से दूर-दूर तक था। अनेक जिज्ञासु उनके सम्पर्क में आकर विद्वान् बने । उनसे प्रेरणा पाकर कई विद्वानों ने साहित्य सेवा में अपना जीवन लगाया एवं परवर्ती विद्वानों ने उनका अनुकरण किया । वे विनम्र, पर स्वाभिमानी एवं सरल स्वभावी थे। वे प्रामाणिक महापुरुष थे । तत्कालीन प्राध्यात्मिक समाज में तत्त्वज्ञान सम्बन्धी प्रकरणों में उनके कथन प्रमाण के तौर पर प्रस्तुत किए जाते थे। बे लोकप्रिय आध्यात्मिक प्रवक्ता थे । ग्रहस्थ होने पर भी उनकी वृत्ति साधुता की प्रतीक थी। उन्होंने अपने जीवन में छोटी-बड़ी बारह रचनाएँ लिखीं, जिनका परिमाण करीब एक लाख श्लोक प्रमाण है -- पांच हजार पृष्ठ के करीब । इनमें कुच्छ लोकप्रिय सैद्धान्तिक एवं आध्यात्मिक गन्थों की भाषाटीकाएँ हैं - एक है मौलिक ग्रन्थ अत्यन्त लोकप्रिय 'मोक्षमार्ग प्रकाशक । एक है प्रसिद्ध आध्यात्मिक पत्र जिसे 'रहस्यपूर्ण चिट्टी' के नाम से जाना जाता है । पञ्च-रत्तना है 'गोम्मटसार पूजा' जो कि संस्कृत और हिन्दी छंदों में लिखी गई है। एक वर्णनात्मक कृति 'समोसरण वर्णन' है। टीकाग्रन्थों में कुछ प्राकृत ग्रन्थों की टीकाएँ हैं और कुछ संस्कृत ग्रन्थों की। प्राकृत ग्रन्थों में गोम्मटसार जीवकाण्ड, गोम्मटसार कर्मकाण्ड, लब्धिसार-क्षपरणाराार पर लिखी गई टीकाएँ हैं, जिनका नाम है 'सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका' । सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका में प्राए विषयों को समझाने के लिए हजारों संदृष्टियाँ (चार्ट्स) बनाई, जिन्हें स्वतंत्र रूप से अर्थसंदृष्टि अधिकार में रखा गया है। इस अधिकार को भी सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका का परिशिष्ट समझना चाहिए । इसके अतिरिक्त प्राकृत भाषा का ग्रन्थ त्रिलोकसार भी है। इसकी टीका त्रिलोकसार भाषाटीका' नाम से लिखी है। सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका और त्रिलोकसार भाषाटीका के प्रारम्भ में उनके विषय में सुगमता से प्रवेश करने के लिए विशाल भूमिकाएँ लिखी गई हैं।
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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