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________________ पंडित टोडरमस : व्यक्तित्व और कस्तत्व ता, पना, पनों, पने' और कहीं-कहीं दुहरे भाववाचक प्रत्ययों का प्रयोग किया है । उत्तम पुरुष एकवचन सर्वनाम में विशेष उल्लेखनीय यह है कि इसमें कर्ता कारक के एकवचन में 'हौं' का प्रयोग नहीं है जबकि ब्रजभाषा में यह प्रयोग मिलता है। इसके स्थान पर आलोच्य भाषा में खड़ी बोली का 'मैं मिलता है । कर्ता कारक में 'ने' कहीं-कहीं ही मिलता है । आलोच्य भाषा में निम्नलिखित परसर्ग (कारक चिह्न) मिलते हैं : कर्ता कर्म - को, कों, कौं, कू, ओं करण - तें, करि, स्यों, सेती सम्प्रदान -को, कों, ताईं, के अर्थि अपादान -ते, करि सम्बन्ध - का, की, के, के, को, को, कौं अधिकरण - विर्षे, इ, में | डॉ. उदयनारायण तिवारी ने ब्रजभाषा के परसर्ग (कारक चिह्न) निम्नानुसार दिए हैं। : कर्तृ - नें, मैं कर्म-सम्प्रदान - कुं, कू, कौं, के, के करण-अपादान - सों, सूं, ते, ते सम्बन्ध - कौ; तिर्यक (पुल्लिग) के, (स्त्रीलिंग) की अधिकरण - में, मैं, पै, लौं दोनों के तुलनात्मक अध्ययन करने से पता चलता है कि आलोच्य भाषा के कर्म कारक में ब्रजभाषा के अन्य प्रत्ययों के साथ खड़ी बोली का 'को' भी मिलता है । करण और अपादान कारक में 'करि' का प्रयोग मिलता है जो कि अजभाषा में नहीं है। इसी 'हि. भा. उ० वि०, २४४
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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