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पंजित टोडरमल : व्यक्तित्व मौर कर्तृत्व १९) बताना बताइये है प्रथम ही कर्मबन्धन को निदान
बताइये है। (१०) दिखाना १. दिखाइये है ताका सार्थकपना दिखाइये है ।
२. दिखाया सो ताको मिथ्या दिखाया। (११) मिलना मिलादै असत्यार्थ पदनि को जैन शास्त्रनि
विर्षे मिलाये। (१२) बनाना बना है। अर ताहीं के अनुसार ग्रंथ
बनाव है। (१३) राख राखूगा मैं तो बहुत सावधानी राखूगा। (१४) लजाना लजावं जिनधर्म को लजाये। (१५) भ्रमाना भ्रमाव है अपने उपयोग को बहुत नाही
भ्रमावै हैं। निम्नलिखित विदेशी क्रियाएँ भी पाई जाती हैं :(१) बक्सना (देना) १. बक्सी राजा मौन अक्सी। २. बससे पीछे राजा बक्से तो ग्रहण
करना। ३. बक्स
पीछे ठाकुर बक्स तो ग्रहण की । वर्तमानकालिक क्रिया
पंडित टोडरमल ने अपने साहित्य की भाषा में मूल साध्यमान (विकरण) धातु एवं संज्ञापदों के साथ 'है' सहायक क्रिया के रूप जोड़ कर वर्तमान काल के रूप बनाए हैं, किन्तु मूल धातु या संज्ञा शब्द के अन्त में तथा सहायक क्रिया के पहिले 'ऐ, इए, औ, ऊँ' प्रत्यय लगाए हैं। जैसे 'कर' साध्यमान धातु में 'ऐ' प्रत्यय जो. कर और 'है' सहायक क्रिया लगाकर कर है' रूप बनाया है, जबकि मूल में संस्कृत 'करोति' से 'करई, करै' रूप बनता है, किन्तु आलोच्य भाषा में मात्र 'करे' कालबोध नहीं देता, अतः इसमें 'है' सहायक क्रिया लगाना