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अावश्यकता प्रतीत हुई। फलस्वरूप 'श्री वीतराग-विज्ञान विद्यापीठ परीक्षा बोर्ड' की स्थापना हुई। इस परीक्षा लोई मे १९६८-६६ में ५७१ छात्र परीक्षा में बैठे, जबकि १९७२-७३ में यह संख्या बढ़कर १६,५७१ हो गई। परीक्षा बोर्ड से विभिन्न प्रांतों की २५६ शिक्षणसंस्थाएँ सम्बन्धित हैं - जिनमें से १५५ तो बोर्ड द्वारा स्थापित नवीन वीतराग-विज्ञान पाठशालाएं हैं।
गुजराती भाषी परीक्षार्थियों की सुविधा की दृष्टि से इसकी एक शाखा अहमदाबाद में भी स्थापित की गई है । शिविर विभाग
इस विभाग की २ शाखाएँ हैं :१. प्रशिक्षण शिविर
२. शिक्षण शिविर १. प्रशिक्षण शिविर
श्री वीतराग-विज्ञान विद्यापीठ परीक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम चालू हो जाने पर और उत्तरपुस्तिकाओं के अवलोकन करने पर अनुभव हुमा कि अध्ययन शैली में पर्याप्त सुधार हुए बिना इन पुस्तकों को तैयार करने का उद्देश्य सफल नहीं हो सकेगा। अतएव धार्मिक अध्यापन की सैद्धान्तिक व प्रायोगिक प्रक्रिया में अध्यापक बन्धुत्रों को प्रशिक्षित करने हेतु ग्रीष्मकालीन अवकाश के समय २० दिवसीय प्रशिक्षण शिविर लगाया जाना प्रारम्भ किया गया । अभी तक ऐसे पांच शिविर क्रमश: जयपुर, विदिशा, जयपुर, आगरा व विदिशा में सम्पन्न हो चुके हैं, जिनमें ६६५ अध्यापकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। आगामी प्रशिक्षण शिविर गुजरात व महाराष्ट्र में लगाने का निश्चय हो चुका है । तत्सम्बन्धी एक पुस्तक 'वीतराग-विज्ञान प्रशिक्षण निर्देशिका' भी प्रकाशित की गई है। २. शिक्षण शिविर
प्रशिक्षण शिविर की भांति ही बालकों के हेतु यथासमय जगह-जगह शिक्षण शिविर लगाये जाते हैं।
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