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________________ पद्य साहित्य पंडित टोडरमल का पद्य साहित्य दो रूपों में पाया जाता है । एक तो है गोम्मटसार पूजा स्वतंत्र कृति, दूसरे हैं टीका ग्रन्थों एवं मौलिक ग्रन्थों के मंगलाचरण एवं प्रशस्तियाँ । गद्य साहित्य की अपेक्षा पद्य साहित्य कम है। उन्होंने स्वयं लिखा है कि कविता करना मेरा काम नहीं है। फिर भी उनका जो भी पद्य साहित्य प्राप्त है, उसमें काव्यात्मक गुरणों की कमी नहीं । उन्होंने पद्य साहित्य में संस्कृत और हिन्दी दोनों भाषाओं को माध्यम बनाया है। उनका पद्य साहित्य निम्नलिखित रूप में उपलब्ध है : मंगलाचरण प्रशस्ति योग नाम ग्रन्थ छन्द १. सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका २. गोम्मटसार जीवकाण्ड भापाटीका ३. गोम्मटसार कर्मकाण्ड भाषाटीका ४, लब्धिसार-क्षपणासार भाषाटीका | ५. त्रिलोकसार भाषाटीका ६. अर्थसंदृष्टि अधिकार ७. पुरुषार्थसिद्धयुपाय भाषाटीका ८. प्रात्मानुशासन भाषाटीका ६. मोक्षमार्ग प्रकाशक १०. समोसरण वर्णन ' त्रि० भा० टी०, भूमिका, १
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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