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पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तुत्व
उपर्युक्त प्रकार, मंगलाचरण व प्रशस्ति पद्यों की संख्या १६४ है । गोम्मटसार पूजा की छन्द संख्या ५७ अलग से है । इस प्रकार कुल मिला कर २२१ छन्द होते हैं । गोम्मटसार पूजा के ४५ छन्द संस्कृत में १२ बन्द हिन्दी में हैं । लब्धिसार-क्षपणासार की प्रशस्ति के २ छन्द एवं अर्थसंदृष्टि अधिकार के ४ छन्द संस्कृत में हैं। शेष सभी हिन्दी में हैं । छन्दों का नामानुसार विवरण इस प्रकार है:
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हिन्दी छन्द - दोहा ६५, सोरठा १ चौपाई ३५, कवित्त ४, सवैया २०० ग्रडिल्ल ३ पद्धरि १२
संस्कृत छन्द - ५१
गोम्मटसार पूजा में गोम्मटसार शास्त्र के प्रति भक्ति-भाव प्रदर्शित किया गया है, जिसका वर्णन उक्त कृति के परिचयात्मक अनुशीलन में किया जा चुका है । इसकी भाषा सरल, सुबोध संस्कृत है पर जयमाल हिन्दी में है । छन्द रचना निर्दोष एवं सहज है । प्रथम छन्द इस प्रकार है :
ज्ञानानन्दमयः शुद्धः, येनात्मा भवति ध्रुवम् । गोम्मटसार शास्त्रं तद् भक्त्या संस्थापयाम्यहम् || पुष्प का छन्द भी द्रष्टव्य है :
पुष्पैः सुगन्धे: शुभवर्णवद्भिः,
चैतन्यभावस्य विभासनाय ।
तत्त्वार्थ- बोधामृत हेतुभूतम्,
गोम्मटसारं प्रयजे सुशास्त्रम् ॥
जयमाल के प्रारम्भिक छन्द में गोम्मटसार को अपार समुद्र बताया गया है जिसमें बिचार रूपी रत्न भरे हुए हैं, जिन्हें गाथारूपी मजबूत धागों में पिरो कर हार बना भाग्यवान भव्य जीव प्रफुल्लित होकर पहनते हैं | छन्द इस प्रकार है :
यह गोम्मटसारं उदधि अपारं,
रतन विशालं मंत्र घने
गाथा दृढ़ धागे गुहे सभागे,
पहिरे भवि जन हिय माने ||