________________
रचनामों का परिचयात्मक अनुशीलन उतरते ही अनुभूति लेखनी में उतरने लगती है। वे विषय को पूरा स्प। गा रहे हैं : पार नहीं बिलय को अस्पष्ट छोड़ना पड़ा है वहाँ उल्लेख कर दिया गया है कि उसे आगे विस्तार से स्पष्ट करेंगे।
नाम ग्रंथ या दर्शन
पृष्ठ संख्या
नाम ग्रंथ या दर्शन
पृष्ठ संख्या
२६१,२६५, ५६. ज्ञानार्णव
३६६
बौद्ध ग्रंथ
५२, परमात्मप्रकाश
२६९ ३८, अभिधर्म कोष १६४ ५३. श्रावकाचार(योगीन्द्रदेव) ३५०
५४. गोम्मटसार ३१६,३९७ श्वेताम्बर जैन ग्रंथ
जीवकांड ३६. प्राचारांग सूत्र
५५. गोम्मटसार टोका ३६४ ४०. भगवती सूत्र
५६. लब्धिसार ३८५,३८६ ४१. उत्तराध्ययन सूत्र
५७. रत्नकरण्ड श्रावकाचार ३६३ ४२. बृहकाल्प सूत्र
५८. वृहत्स्वयंभू स्तोत्र ४३, उपदेशसिद्धान्त रत्नमाला
३१४,४४१
६०. धर्म परीक्षा ४४. संघपट्ट
२६५ ४५. ढारी पंय
६१. सूक्ति मुक्तावली
६२. प्रात्मानुशासन २४,८१ दिगम्बर जैन ग्रंथ ४६. षट् पाहड़ २६२,२६६-६८ ६३. तत्त्वार्थ मूत्र ३१०,३२६ २६३,२७५,४३१
३३८,३८३ ४७. पंचास्तिकाय
३२६ ६४. समयसार कलश २८६,२८७ ४८. प्रवचनसार
३०३,३०४-५ ४६. रयरासार
२७७ ६५. पद्मनन्दि पच्चीसी २९५ ५०. धवल
३८७ ६६. पुरुषार्थसिदयुपाय ३७२ ५१. जयश्वल
३८८ ६७. पाहुइ दोहा २४,२५ १ मो० मा० प्र०, ४४, ११६, २३१, २४६, ३०४, ३४१, ३४६, ३७८, ४७४
२३२