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________________ १३२ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व प्रौर कवि आत्मानुशासन भाषाटीका 'आत्मानुशासन' शान्त रस प्रधान अत्यन्त लोकप्रिय रचना है। यह संस्कृत भाषा में छन्दोबद्ध है। इसमें पन्द्रह प्रकार के विभिन्न छन्दों में २६६ पद्य हैं । यह नीति-शास्त्रीय सुभाषित ग्रंथ है। इसमें विभिन्न विषयों पर मार्मिक विचार प्रस्तुत किये गए हैं । इसकी तुलना हम मत हरि के वैराग्यशतक और नीतिशतक से कर सकते है । संस्कृत साहित्य में जो स्थान भर्तृहरि के वैराग्यशतक और नीतिशतक का है, जैन संस्कृत साहित्य में वही स्थान यात्मानुशासन का है । इस ग्रन्थ पर पंडित टोडरमल ने भाषाटीका लिखी है, जो प्रकाशित हो चुकी है। इसके आधार पर परवर्ती विद्वानों ने अनेक टीकाएं लिखी हैं, जिनमें से एक ब्र० जीवराज गौतमचन्द्र द्वारा मराठी भाषा में लिखी गई है, जो कि पंडित टोडरमल की टीका का अनुवाद मात्र है'। एक हिन्दी टीका पं० बंशीधर शोलापूर ने भी लिखी है, जो कि जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, बम्बई से १६ फरवरी सन् १९१६ ई० को प्रकाशित हुई है। सन् १९६१ ई० में एक विस्तृत प्रस्तावना व संस्कृत टीका सहित एक टीका प्रो० ए० एन० उपाध्ये, प्रो० हीरालाल जैन एवं बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री के सम्पादकत्व में जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर से प्रकाशित हुई है। उक्त सभी उत्तरकालीन टीकाएँ पंडित टोडरमल की टीका से प्रभावित हैं। प्रात्मानुशासन की एक टीका अंग्रेजी में भी प्रकाशित हुई है, जिसके लेखक हैं श्री जे० एल० जनी । इस दीका का नाम 'यात्मानुशासन भाषाटीका' है। पंडित टोडरमल ने जितने भी ग्रन्थों की टीकाएँ लिखी हैं, उन सभी ग्रन्थों के नाम के आगे 'भाषाटीका' लगा कर ही उसका नाम रखा है। एक सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका का अवश्य अलग नाम दिया है, किन्तु उसके अंतर्गत जिन चार ग्रन्थों की टोकाएँ लिखी हैं, उनके अलग-अलग नाम इसी प्रकार दिए है-जैसे गोम्मटसार जीवकाण्ड भाषाटीका, १ प्रास्मानुशासन गोलापुर, सन् १९६१ ३०, प्रस्तावना, ३३ १ प्र. वी. काश्मीरीलाल जैन सब्जीमंडी, दिल्ली, सन् १९५६ ई.
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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