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________________ प्रकाशकीय 'पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व शोध-प्रबंध प्रकाशित करते हुए हमें अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है । प्राचार्यकल्प पंडितप्रवर टोडरमलजी को जैन समाज में कौन नहीं जानता ? उनका 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' तो समाज के हृदय का हार बना हुआ है। आज से लगभग ४८ वर्ष पूर्व उक्त ग्रंथ आध्यात्मिक सत्पुरुष पूज्य श्री कानजी स्वामी के हाथ लगा । उसका सातवाँ अध्याय पढ़ कर वे इतने प्रभावित हए कि उन्होंने उक्त अध्याय के ५० पृष्ठ अपने हाथ से लिख लिए जो आज भी सुरक्षित हैं। पूज्य स्वामीजी के मुख से मोक्षमार्ग प्रकाशक व उसके कर्ता पंडितप्रवर टोडरमल जी की श्रद्धापूर्वक प्रशंसा सुन कर श्रीमान् सेठ पूरणचंदजी गोदीका, जयपुर के हृदय में पंडितजी के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हुई एवं यह जान कर तो उन्हें अपार हर्ष हुआ कि पंडितजी की कर्मभूमि जयपुर ही रहा है । उन्हें जयपुर में उनका एक भव्य स्मारक बनाने का भाव आया। पूज्य गुरुदेव की अनुमोदना एवं स्वर्गीय पंडित चैनसुखदासजी से प्रेरणा पाकर उन्होंने अपनी भावना को साकार रूप दे दिया। परिणामस्वरूप पंडित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट की स्थापना हुई एवं श्री टोडरमल स्मारक भवन का निर्माण हुअा। उपर्युक्त स्मारक ट्रस्ट के ट्रस्टियों में विचार चल रहा था कि जिन पूज्य पंडितजी के नाम पर स्मारक ट्रस्ट की स्थापना हुई है, उन महापुरुष के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व से जनसाधारण अपरिचित है; अतः इस विषय पर सूक्ष्मता एवं गहराई के साथ प्रामाणिक शोध-कार्य करने की आवश्यकता है। इसी बीच श्री टोडरमल स्मारक भवन, जयपुर में डॉ० सत्येन्द्र, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में मात्र सन् १९६८ ई० में प्रायोजित 'टोडरमल जयंती समारोह के अवसर पर स्व. पं० चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ ने पं० हुकमचंदजी भारिल्ल, शास्त्री, न्यायतीर्थ, एम०ए०, संयुक्तमंत्री,
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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