SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रचनाओं का परिचपात्मक अनुशीलन १२५ दुसरे अधिकार में मंसार अवस्था का वर्णन है। आत्मा के माय क्रमों का बंधन, उनका अनादित्व एवं प्रात्मा में भिन्नत्व तथा कमाँ के घानिकर्म अघानिकर्म, ट्रम्पकम, गावकर्म अादि भदों पर विचार किया गया है। नगरान्न नवीन बंध, बंध के भेद व उनके कारगगों पर भी प्रकाश दाना गया है। अन्त में क्षामिक ज्ञान (अर्द्धविकसिन ज्ञान ) की पराधीन प्रवृति एवं अष्ट कर्मोदयजन्य ज. बरपा विस्तारमान किया है । तीसरे अधिकार में गांसारिक दुःख, दुःखों के मूल कारणमिथ्यात्व', अज्ञान, प्रसंयम ; कषायजन्य जीव की प्रवृत्ति और उनमे निवृत्ति के उपाय का वर्णन है। तदुपरान्त एकेन्द्रियादिव जीवों के चतुर्गति भ्रमग संबंधी दुखों का विस्तृत विवेचन कर उनसे छूटने का उपाय बताया गया है । अंत में सर्वदुःख रहित गित दगा का स्वरूप बताकर उममें सर्वगुख सम्पन्नता सिद्ध की गई है । चौथे अधिकार में अनादिकालीन मियादर्शन, मिथ्याज्ञान एवं मिथ्याचारित्र का वर्णन है। इन्हीं के अंतर्गत मोक्षमार्ग के प्रयोजनभुत-अप्रयोजन भूत का विवेक एवं मोह-राग-द्वेष रूप प्रवृनि का विस्तृत विवेचन किया गया है ।। पाँचवें अधिकार में गृहीत मिथ्यात्व का विस्तृत वर्णन किया है। इसके अंतर्गत विविध मतों की समीक्षा की गई है – जिममें सर्वव्यापी अद्वैतग्रह्म, मृष्टि-कर्ताबाद, अवतारवाद, यज्ञ में पशु-हिमा, भक्तियोग, ज्ञानयोग, मुस्लिममत, सांध्यमत, नैयायिकमत, वैशेषिकमान, मीमांस कमत, जैमिनीयगत, योद्धमत, चार्वाकमत की समीक्षा की गई है तथा उक्त मतों और जैनमत के बीच तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। अन्य मतों के प्राचीनतम महत्त्वपूर्ण ग्रंथों के आधार पर जनमत की प्राचीनता और ममोचीनता सिद्ध की गई है । बदनन्तर जैनियों के अंतर्गत सम्प्रदाय श्वेताम्बरमत पर विचार करते हुए स्त्रीमुक्ति, शूद्रमुक्ति, १ वस्तु स्वरूप के सम्बन्ध में उल्टी मान्यता को मिश्यारव कहते हैं ।
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy