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________________ ११० पंडित टोडरमल व्यक्तित्व और कत्व एवं खड़ी बोली में इसके अनुवाद भी कई बार प्रकाशित हो चुके हैं ' । यह उर्दू में भी छप चुका है। गुजराती और मराठी में इसके अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। समूचे समाज में यह स्वाध्याय और प्रवचन का लोकप्रिय ग्रंथ है। इसकी मूल प्रति भी उपलब्ध है एवं उसके फोटोप्रिन्ट करा लिए गए हैं जो जयपुर, बम्बई, दिल्ली और सोनगढ़ में सुरक्षित हैं। इस पर स्वतंत्र प्रवचनात्मक व्याख्याएँ भी मिलती हैं । ७ E प्रकाशक १ (क) भा०दि० जैन संघ, मथुरा ( स ) थी दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़ (ग) श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़ ㄜ दाताराम चैरिटेबिल ट्रस्ट, १५८३, दरीबा कलां, देहली प्रकाशन तिथि 3 (क) श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़ बी० नि० सं० २००५ वि० सं० २०२३ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०२७ भाषा प्रतिय ५ वही ६ श्री दि० जैन सीमंधर जिनालय, जवेरी बाजार, बम्बई खड़ी बोली נו נה उर्दू गुजराती (ख) महावीर ब्र० श्राश्रम, कारंजा मराठी ४ श्री दि० जैन मंदिर दीवान भद्रीचंदजी, घी वालों का रास्ता जयपुर ७ श्री दि० जैन मुमुक्षु मंडल, श्री दि० जैन मंदिर, धर्मपुरा, देहली थी दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़ १००० ११००० ७००० १००० ६७०० १००० ● प्राध्यात्मिक सत्पुरुष श्री कानजी स्वामी द्वारा किये गए प्रवचन, 'मोक्षमार्ग प्रकाशक की किरणें' नाम से दो भागों में दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़ से हिन्दी व गुजराती में कई बार प्रकाशित हो चुके हैं । १
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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