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________________ रचनाओं का परिचयात्मक मनुशीलन ग्रंथ के नाम के सम्बन्ध में विद्वानों में दो मत हैं :(१) मोक्षमार्ग प्रकाश (२) मोक्षामार्ग प्रकाशक प्रथम मत मानने वाले द्वा लालबहादुर शास्त्री हैं। उन्होंने अपने मत की पुष्टि में निम्नलिखित तर्क दिये हैं। : (१) पंडित टोडरमल ने स्वयं मंगलाचरण के बाद ग्रंथ की उत्थानिका में इसका नाम –'मोक्षमार्ग प्रकाश' स्वीकार किया है जैसा कि उनकी इम पंक्ति से सपाट है : "अथ मोक्षमार्ग प्रकाश नाम शास्त्र का उदय हो है" (२) १८० वि० में जयपुर निवासी पंडित जयचंद्र ने काशी निवासी वृन्दाबनदास को एक पत्र में उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रध का नाम 'मोक्षमार्ग प्रकाश लिखा है। (३) इस नाम बाले अन्य ग्रंथों में भी 'प्रकाश' शब्द देखा मया है। 'प्रकाशक' नहीं । योगीन्द्रदेव कृत 'परमात्म प्रकाश' इसका उदाहरणा है। डॉ० शास्त्री के उक्त कथन विशेष महत्त्वपूर्ण और साधार प्रतीत नहीं होते । मोक्षमार्ग प्रकाशक की मूल प्रति में 'प्रकाशक' शब्द पाया गया है, 'प्रकाश' नहीं । उक्त पंक्ति इस प्रकार है : "अथ मोक्षमार्ग प्रकाशक नाम मास्त्र का उदय हो है।" जहाँ तक पंडित जयचंद के पत्र की बात है, जिसमें 'मोक्षमाग प्रकाश दिया है - उस पत्र के संदर्भ का उल्लेख डॉ० शास्त्री ने नहीं किया है, लेकिन वह श्री नाथूराम प्रेमी द्वारा संपादित 'वृन्दावन बिलास' के अन्त में दिया गया पत्र प्रतीत होता है । श्री नाथूराम प्रेमी द्वारा प्रकाशित मोक्षमार्ग प्रकाशक में कहीं 'मोक्षमार्ग प्रकाश', कहीं 'मोक्षमार्ग प्रकाशक दोनों ही शब्दों का प्रयोग किया गया है। १ मो० मा प्रा मथुरा, भूमिका, ४ र उक्त पृष्ठ की मूल प्रति का ब्लाक अधिकांश प्रकाशित मोक्षमार्ग प्रकाशकों में छपा है । यहाँ भी संलग्न है।
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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