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________________ रचनाओं का परिचयात्मक अनुशीलन अाधार पर हिन्दी, अंग्रेजी तथा मराठी के अनुवादों का निर्माण हुया है। कन्नड़ी और संस्कृत टीकाओं का एक ही नाम (जीवतत्त्वप्रदीपिका) होने, मूलग्रंथकर्ता तथा संस्कृत टीकाकार का भी एक ही नाम (नेमिचंद्र) होने, कर्मकाण्ड की गाथा नं. ६७२ के अस्पष्ट उल्लेख पर से चामुण्डराय को कन्नड़ी टीका का कर्ता समझे जाने और संस्कृत टीका के 'धित्वाकर्णाटकी वृत्ति' पद्य को द्वितीय चरण में 'वरिणश्रीकेशवैः कृतां' की जगह कुछ प्रतियों में 'बरिणश्री केशवः कृति' पाठ उपलब्ध होने आदि कारणों से पिछले अनेक विद्वानों को, जिनमें पंडित दोइरमल भी शामिल हैं, संस्कृत टीका के वार्ता के विषय में भ्रम रहा है और उसके फलस्वरूप उन्होंने उसका कर्ता केशव वर्णी लिख दिया है। इस फैले भ्रम को डॉ० ए० एन० उपाध्ये ने तीनों टीकानों और गद्य-पद्यात्मक प्रशस्तियों की तुलना द्वारा 'अनकान्त' में प्रकाशित एक लेख में स्पष्ट किया है। पंडित टोडरमल मे सम्यग्ज्ञानचंद्रिका, जीवतत्त्वप्रदीपिका नामक संस्कृत टीका के आधार पर बनाई है। इस बात का स्पष्ट उल्लेख उन्होंने पीठिका में किया है । जीवतत्वप्रदीपिका, गोम्मटसार जीवकाण्ड, गोम्मटसार कर्मकाण्ड पर पूरी है, पर लब्धिसार-क्षपणासार पर गाथा नं० १९१ के प्रागे नहीं है। नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती के शिष्य माधवचंद्र ऋविद्य के द्वारा रचित एक संस्कृत 'क्षपणासार' १ हिन्दी अनुवाद जीवकाण्ड पर पंडित ग्वबचंद का, कर्मकाण्ड पर पक्षित मनोहरलाल का; अंग्रेजी अनुवाद जौवकाण्ड पर मिस्टर जे. एल. जनी का, कर्मकाण्ड पर न. शीतलप्रसार तथा बाबू अजितप्रसाद का, और मराठी अनुवाद गांधी नेमचंद धानचंद का है। लब्धिसार-क्षगरपातार पर भी पं० मनोहरलाल का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हुमा है । २ पु० ज० बा० सू०, प्रस्तावना, ८८-८९ 3 वही, ६ ४ अनेकान्त वर्ष ४, फिरण १, पृ० ११३-१२० ५ स. चं० पी०, ५
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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