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________________ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व क्योंकि इसमें निम्नलिखित पांच बातों का वर्णन है : १. बंध २. बध्यमान, ३. बंधस्वामी, ४. बंधहेत, ५. बंधभेद । सम्यग्ज्ञानचंद्रिका प्रशस्ति में पंडित टोडरमल ने दोनों नामों का उल्लेख इस प्रकार किया है : "बंधकादि संग्रह से नाम पंचसंग्रह है, अथवा गोम्मटसार नाम को प्रकाश है।" इसके आगे का भाग लब्धिसार-क्षपणासार है, उसकी गाथा संख्या ६५३ है। इन ग्रंथों का निर्माण राजा चामुण्डराय की प्रेरणा से उनके पठनार्थ हुन्ना था। वे गंगवंशी राजा राजमल्ल के प्रधान मंत्री एवं मेनापति थे। उन्होंने श्रवणबेलगोला में बाहलि की सुप्रसिद्ध विशाल और अनुपम मूर्ति का निर्माण कराया था। चामुण्डराय का दूसरा नाम गोम्मटराय भीथा, अतः इस ग्रंथ का नाम गोम्मटसार पड़ा। यह महाग्रंथ जैन परीक्षाबोड़ों के पाठ्यक्रम में निर्धारित है और समस्त जैन महाविद्यालयों में नियमित रूप से पढ़ाया जाता है । इस गोम्मटसार ग्रंथ पर मुख्यत: चार टीकाएँ उपलब्ध हैं। एक है-- अभयचन्द्राचार्य की संस्कृत टीका 'मंदप्रबोधिना' जो जीवकाण्ड की गाथा ३८३ तक ही पाई जाती है । दूसरी केशब बरगी की संस्कृत मिश्रित कन्नड़ी टीका 'जीवतत्त्वप्रदीपिका' है जो सम्पूर्ण गोम्मटसार पर विस्तृत टीका है और जिसमें 'मंदप्रबोधिका' का पूरा अनुसरण क्रिया गया है। तीसरी है -- नेमिचन्द्राचार्य की संस्कृत टीका 'जीवतत्त्वप्रदीपिका' जो पिछली दोनों टीकात्रों का पूरा-पूग अनुसरण करती हुई सम्पूर्ण गोम्मटसार पर यथेष्ट विस्तार के साथ लिखी गई है, और चौथी है पंडित टोडरमल को हिन्दी टीका सम्यग्ज्ञानत्रंद्रिका' जिस में संस्कृत टीका के विषय को खूब स्पष्ट किया है और जिसके पु० जं वा० सू० प्रस्तावना, ६६
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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