SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीपार्श्वनाथाय नमः तार्किकचक्रचूडामणि श्रीकुमुदचन्द्राचार्य अपरनाम श्रीसिद्धसेनदिवाकरविरचित कल्याणमन्दिर स्तोत्र ( श्रीपार्श्वनाथ स्तोत्र ) यसन्ततिलका छन्द) कल्याणमन्दिरमुदारमवद्यभेदि भीताभयप्रदमनिन्दितमझिपद्मम् संसारसागरनिमज्जदशेषजन्तु पोतायमानमभिनम्य जिनेश्वरस्य ।। १ ।। यस्य स्वयं सुरगुरुर्गरिमाम्बुराशेः स्तोत्रं सुविस्तृतमतिर्न विभुर्विधातुम् । तीर्थेश्वरस्य कमठस्मयधूमकेतो. स्तास्याहमेष किल संस्तवनं करिष्ये ।। २ ।। (युग्मम्) 1 कविराज पं० गिरिधरजी शर्मा नवरत्न कृत नूतन हिन्दी-पद्यानुवाद कल्याण-धाम भय-नाशक पापहारी, त्यों है जहाज भव-सिन्धु पड़े जनों के । निन्दाविहीन अति सुन्दर सौख्यकारी, पादारविन्द प्रभु के नम के उन्हीं को ॥१॥ श्रीपार्श्वनाथ विभु का स्तव में रचूँगा, जो नाथ हैं कमठ-विघ्न-विनाशकर्ता । त्यों है अशक्त जिनके स्तव को बनाने, अत्यन्त बुद्धिधन भी गुरु भी सुरों का।२।।
SR No.090323
Book TitlePanchstotra Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Syadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy