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प्रस्तावना
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ने ग्राम शब्द की कोई परिभाषा नहीं दी है। किन्तु उन्होंने ग्राम-वर्णन के प्रसंग में कृषकों एवं उनके द्वारा की गयी खेती, जलाशय. सुरम्य-उद्यान एवं गाय-भैंसों की चर्चा को है। इससे विदित होता है कि ग्राम कृषि-प्रधान स्थल कहलाते थे। जिनसेन के अनुसार एक सामान्य ग्राम में 100 घर होते थे। तथा 500 घर वाला ग्राम या बड़गाँव कहलाता था। ग्रामों में कृषकों के साथ-साथ कुम्हार, चमार, लुहार, बढ़ई, माली आदि लोगों का निवास अधिक होता था, जो कच्चे मिट्टी के बने घरों अथवा घास-फूस के झोंपड़ों में रहते थे।
महाकवि सिंह ने कुछ ग्रामीण इकाइयों की भी चर्चा की है, जिनमें मडंब, खेड, दरि, कव्वड एवं पत्तन के नाम प्रमुख हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार है
मडंब (1/15/6)
आदिपुराण तथा वरांगवरित में इसकी परिभाषा करते हुए बताया गया है कि मडंब 500 ग्रामों के बीच में एक व्यापारिक केन्द्र होता था। प०चा में इसकी कोई परिभाषा नहीं दी गयी है।
खेड (1/15/6) जिनसेन ने पर्वत एवं नदी के मध्यवर्ती-स्थल को खेड कहा है, जब कि समरांगण-सूत्रधार नामक ग्रन्थ के अनुसार ग्राम एवं नगर के मध्यवर्ती स्थल को खेड कहा गया है। यह स्थल नगर से छोटा एवं ग्राम से बड़ा होता था। आज की भाषा में इसे कस्बा कह सकते हैं। यहाँ के निवासियों में शूद्रों एवं कर्मकारों की संख्या अधिक होती है।'
दरि गुफा, 1/15/6) पर्वतीय नदियों के किनारे एवं पहाड़ों के भीतर प्राकृतिक दरारों वाले छोटे-बड़े स्थल 'दरि' कहे जाते हैं। कब्बड (पर्वतीय प्रदेश, 4/9/14)
आचार्य जिनसेन ने इसे खर्वट की संज्ञा प्रदान की है। इसके अनुसार वह पर्वतों से घिरा हुआ प्रदेश माना गया है। कौटिल्य ने खर्वट को दुर्ग के समान माना है, जो 200 ग्रामों की रक्षा के लिए निविष्ट किया जाता था। प०च० में इसकी कोई परिभाषा प्राप्त नहीं होती।
पत्तन (1/4/8)
प्राचीन काल में पत्तन' उस नगर को कहा जाता था, जो समुद्री किनारों पर बसा हुआ हो और जहाँ निरन्तर जलयानों का आवागमन होता रहता हो । कवि सिंह ने इसी अर्थ में पत्तन शब्द का प्रयोग किया है। समरांगणसूत्र के अनुसार राजाओं के उष्णकालीन एवं शीतकालीन उपस्थान को पट्टन कहा गया है। आदिपुराण, बृहद्कथाकोश आदि ग्रन्थों के अनुसार पत्तन एक प्रकार का वाणिज्य बन्दरगाह है, जो किसी समुद्र या नदी के तट पर स्थित होता है और जहाँ मुख्य रूप से व्यापारी वर्ग ही निवास करता है। आधुनिक युग में भी समुद्री तट पर बसे हुए नगर बड़े भारी व्यापारिक केन्द्र हैं, जिन्हें बन्दरगाह कहा जाता है, एवं जिन के नामों के साथ पट्टम अथवा पट्टन शब्द जुड़ा हुआ है। जैसे—विजगापट्टम, मछलीपट्टम, रंगपत्तन एवं विशाखापत्तन आदि ।
1. आ.पु.. 16/164.16512. वहीं 16164-1671 . नही 16/172| 4. परांगचरित. 34:12-441 5. आy.. 16/1721 6. भारतीय वास्तुशास्त्र (लखनऊ), पृ० 1141 7. वही, पृ0 115 | K. TOTo 16/1717 9. कौटिस्य अर्थशास्त्र. 17131 10. समरांगणसूत्र. 16172| |. मानसार० नवम अध्यायः