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________________ महाकइ सिंह विराउ पज्जुण्णचरित प० च० में इस देश का नाम एक स्वयंवर-प्रसंग में आया है। मगध (4/14/9,14/5/3) महाभारत के अनुसार यह एक प्राचीन देश है जिसकी राजधानी गिरिव्रज (आधुनिक राजगृह) थी।' इसकी चर्चा वैदिक, बौद्ध एवं जैन सभी साहित्य में प्रचुर मात्रा में आयी है। भगवान महावीर का सर्वप्रथम उपदेश मगध की राजधानी गिरिव्रज के विपुलाचल पर हुआ था। वैचारिक-क्रान्ति का मूल-स्थल होने के कारण इसकी जैन साहित्य में प्रशंसा एवं वैदिक-साहित्य में निन्दा की गयी है। ___ महाकवि जिनसेन ने इसका विस्तृत वर्णन किया है। प० च० में इसकी समृद्धि का वर्णन करते हुए यहाँ के नरेश श्रेणिक का सुन्दर वर्णन किया गया है। मालव (मालवा, 6/4/1, 14/5/4) ___ महाभारत के अनुसार पश्चिम भारत का एक प्रसिद्ध जनपद था, जिस पर नकुल ने विजय प्राप्त की थी। जैन-साहित्य में मालवा का प्रचुर मात्रा में वर्णन मिलता है। शक्तिसंगमतन्त्र में अवन्ती से पूर्व और गोदावरी के उत्तर में इस जनपद की अवस्थिति मानी गयी है। काव्यमीमांसा में मालवा के कई विभागों का उल्लेख किया गया है। हर्ष के युग में मालवा एक सुप्रसिद्ध देश था। दशकुमारचरित में मालव देश और मालव राज का विशेष रूप से उल्लेख हुआ है। इसके अनुसार उज्जयिनी मालवा की राजधानी थी। स्कन्दपुराण के अनुसार मल की बाहुल्यता के कारण ही इस भूखंड को मालवा कहा गया है—'मलस्य बहु सम्भूत्या मालवेति प्रकीर्तिता।' यवन (10/18/4) ___ महाकवि सिंह ने यवन देश की स्थिति के विषय में कोई चर्चा नहीं की किन्तु जिनसेन के अनुसार आदि तीर्थंकर ऋषभदेव ने यवन-देश की स्थापना की थी। महाभारत के अनुसार नन्दिनी ने योनि-देश से यवनों को जन्म दिया था। उसके अन्य सन्दर्भो के अनुसार कम्बोज-राज्य सुदक्षिण यवनों के साथ एक अक्षौहिणी सेना के लिए दुर्योधन के पास आया था।।। महारथी कर्ण ने अपने दिग्विजय-काल में पश्चिम में यवनों को जीता था। उसके एक अन्य प्रसंग के अनुसार ही यवन एक भारतीय जनपद है। वहाँ के निवासी पूर्व में क्षत्रिय थे। परन्तु बाद में ब्राह्मणों से द्वेष रखने के कारण वे शूद्रत्व को प्राप्त हो गये थे ।। कुछ विद्वान् मुलतान के समीप स्थित सिन्ध एवं उसके आसपास वाले प्रदेश को भी यवन-देश कहते हैं। लाड (6/3/12, 14/5/4) ___लाड देश पश्चिमी भारत का एक प्रसिद्ध जनपद माना गया है। कुमारगुप्त के दशपुर (मन्दसौर, मध्यप्रदेश) शिलालेख में बताया गया है कि यहाँ के जुलाहों का रंगाई-बिनाई का काम विश्व-विख्यात था।13 ___ वर्तमान भूगोल के अनुसार यह दक्षिणी गुजरात का नाम था, जो आज भी अपने वस्त्र-उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। इसमें वर्तमान सूरत, भड़ौंच, बड़ौदा, अहमदाबाद एवं खेडा जिले के भूभाग सम्मिलित हैं। राजशेखर ने "प्राकते लाटदेश्या:" कह कर यहाँ के प्राकत-भाषा बोलने वालों की प्रशंसा की है।14 1. सभा पर्द. 21/2:31 2. आठyo. 161531 3. सभा पर्व 3271 4. शक्ति संत: 3/1/21 | 5. कालपी 9.31 6.00 225,2271 7. दण्कु चः,05, 6.9.14, ४. स्कट पु. 51101121 9.आयपु०. 16.1551 10. आदि पर्व 174/36-371 11 उद्यत एवं. 1921-221 12. अनुशासन पर्व 15/181 13. नासौर शिलालेत. मलोक 41 14.कामी, 109:5. 110/22,51:51
SR No.090322
Book TitlePajjunnchariu
Original Sutra AuthorSinh Mahakavi
AuthorVidyavati Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages512
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
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