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प्रस्तावना
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प्रसंग से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि कवि ने उनमें से किसी का उल्लेख यहाँ किया है। तिलंग (14/5/7) ____ महाभारत में इसका उल्लेख नहीं मिलता। स्कायपुरा में इन अपरनाम अशिलांगला देश भी मिलता है। यह प्रदेश गोदावरी एवं कृष्णा नदियों के बीच में स्थित है। तैलंग अथवा तिलंग-देश का प्राचीन रूप त्रिकलिंग है। दिविड (6/3/12) ___ वर्तमान भूगोल के अनुसार मद्रास अथवा तमिलनाडु से लेकर श्रीरंगपट्टम और कुमारी अन्तरीप तक विस्तृत भू-भाग को द्रविड़-देश माना गया है। वैसे दक्षिणापथ के जनपदों में इसका उल्लेख नहीं मिलता। किन्तु महाकवि राजशेखर ने काव्य-मीमांसा में इसका उल्लेख दक्षिणी-प्रदेशों में किया है। जैन-शिलालेखों एवं प्राकृत-साहित्य में इसे द्रमिल-देश कहा गया है। राजशेखर ने भी इसी शब्द का प्रयोग किया है। पंडी (पाण्ड्य, 6/4/1)
महाभारत के अनुसार पाण्ड्य-देश के राजा बड़े पराक्रमी थे। वहाँ के राजा पाण्ड्य ने अपने दिव्य-धनुष की टंकार करते हुए वैडूर्य-मणि की जाली से आच्छादित चन्द्रकिरण के समान श्वेत घोड़ों द्वारा आचार्य द्रोण पर आक्रमण किया था। इस उल्लेख से यह स्पष्ट है कि यह दक्षिण भारत का एक प्राचीन जनपद था। आधुनिक भूगोल के अनुसार यह मदुरा एवं तिनैवलि के प्रदेशवाला देश था। कर्पूरमंजरी के अनुसार यहाँ की नवयुवती स्त्रियों का सौन्दर्य एवं मलयज (शीतल) वायु प्रसिद्ध थी।' प०च० में इसी 'पाण्ड्य' को पंडी के नाम से अभिहित किया गया है। पुष्कलावती देश (4/10/6, 14/9/10) ___ अर्धमागधी आगम-साहित्य के अनुसार पुष्कलावती गान्धार-देश की पश्चिमी राजधानी थी। कुछ विद्वान् इसकी पहचान वर्तमान पेशावर (पाकिस्तान) से करते हैं। महाकवि सिंह के अनुसार 'पुष्कलावती' पूर्व-विदेह में स्थित थी। उनके अनुसार यह नगर प्रकृति का अपूर्व क्रीड़ा-स्थल था। महाभारत में इसका उल्लेख देखने में नहीं आया। बंग (6/3/12, 14/5/3) ___ महाभारत में बंग देश का उल्लेख देखने में नहीं आया। वायुपुराण एवं मत्स्यपुराण के अनुसार वह पूर्व दिशा में स्थित एक विस्तृत प्रदेश था। गरुड़ पुराणा तथा बृहत्संहिता।। के अनुसार पूर्व-दक्षिण में स्थित प्रदेश का नाम बंग था। भागवतपुराण तथा मत्स्यपुराण के अनुसार राजा बलि के बंग नामक पुत्र के नाम पर उससे सम्बन्धित प्रदेश का नाम बंग पड़ा। बौद्धागमों के सुप्रसिद्ध 16 जनपदों में इसके नाम का उल्लेख मिलता है। काव्य-मीमांसा के अनुसार बंग की अधिष्ठात्री देवी कालिका थी। वर्तमानकालीन कलकत्ता का नाम इसी देवी के नाम पर पड़ा और बाद में उसके आसपास का प्रदेश बंगाल के नाम से प्रसिद्ध हो गया, जिसमें ढाका, चटगांव आदि भी सम्मिलित थे।
1. कुमा० सं० 13:721 2. . ज्योग्राफी+io. 45 204। 3. वही०. पृ० 54। 4. का०मी०, 34/61 5. वहींआ. 1913। 6. द्रोण पर्व० 33/23:72-73 1 7. क०म० 1115। ४. बापु०. 45/122; 9.0पु0114441 10. ग .5512| 10.बृ०सं० 14/8| 12. मा.मु. 9122151 13. म०० 48/251 14. अंतर निकाए, ०भा०, ४० 19746/0) नालन्टा स। 15. का०मी०, 14/121 16. सरकार ज्योग्राफी०, पृ० 27।