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महाड संत विरइ पज्जुष्णचरिउ
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चीण ( चीन, 6/3/ 12 )
महाभारत में इसे एक प्राचीन देश माना गया है। वहाँ का राजा युधिष्ठिर को भेंट देने के लिए आया था ।
प्राचीन भारतीय जैन, बौद्ध एवं वैदिक साहित्य में चीन का उल्लेख प्रचुर मात्रा में हुआ है। दोनों देशों में व्यापारिक सामग्रियों के आयात-निर्यात के अनेक वृत्तान्त मिलते हैं। रेशमी वस्त्रों की जो भी चर्चाएँ मिलती हैं, उसमें अधिकांश चीन के रेशम से सम्बन्ध रखने वाली थीं। यद्यपि प०च० में उसकी अवस्थिति पर प्रकाश नहीं डाला गया है। किन्तु वह भारत के उत्तर-पूर्व सीमानुवर्ती प्रदेश था, इसमें सन्देह नहीं है।
चोड (6/4/1)
महाभारत में इसे दक्षिण भारत का एक जनपद माना गया है। उसके अनुसार वहाँ के पराक्रमी राजागण धृष्टद्युम्न द्वारा निर्मित क्रौंच व्यूह की दाहिनी पांख का आसरा लेकर खड़े थे। 2 अशोक के दूसरे शिलालेख में इसका उल्लेख अनेक राष्ट्रों के साथ आया है। कहीं कहीं इसका अपरनाम द्रविड़ देश भी माना गया है।
टक्क ( 6/4/1, 14/5/3)
उत्तरायणसुत्त की सुखबोधा - टीका में इस शब्द का प्रयोग हुआ है। उस में टक्क अथवा ढक्क जाति का ब्राह्मण मूलदेव के साथ वेण्णातट की ओर साथ-साथ चलता है। उसके प्रसंग के अनुसार वह टक्क अथवा ढक्क देश का निवासी था। महाकवि राजशेखर ने भी इसका उल्लेख किया है। कनिंघम के गम्भीर अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार यह सिन्ध से लेकर व्यास नदी तक विस्तृत समस्त प्रदेश का नाम था, जो आजकल पंजाब के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होंने इसकी सीमा रेखा उत्तरीम पर्वतों की तलहटी से लेकर दक्षिण में मुलतान तक निर्धारित की है। "
गाड (15/5/3)
महाभारत में 'नाटकेय' नाम के एक देश की चर्चा की गयी है। किन्तु इसकी अवस्थिति का ठीक पता नहीं चलता। प्रतीत होता है कि यह 'आन' का ही संक्षिप्त रूप है। कवि ने छन्दोभंग-दोष से बचने के लिए सम्भवत: पूर्ववर्ती 'आ' का लोप कर दिया है। वायुपुराण के अनुसार आनर्त्त देश उत्तर नर्मदा-खण्ड में स्थित बतलाया गया है।" राजशेखर ने भी इसे पश्चिम भारत का एक देश कहा है। स्कन्द पुराण के अनुसार इसे आनर्स नामक एक राजा ने बसाया था । आनर्त्तपुर, कुशस्थली या द्वारका इसकी राजधानी थी। वर्तमान में इसकी पहचान काठियावाड़ से भी की जाती है। प० च० में इसकी अवस्थिति के विषय में कोई सूचना नहीं है ।
तिउर (14/5/7)
महाभारत के एक उल्लेख के अनुसार यह एक प्राचीन जनपद था। कवि ने इसका उल्लेख दक्षिण स्थित तिलंग- देश के साथ किया है। इससे विदित होता है कि यह दक्षिण भारत में कहीं स्थित होना चाहिए। महाभारत के अनुसार ही यहाँ के नरेश को सहदेव ने अपनी दिग्विजय के प्रसंग में विजित किया था। वैसे पूर्व भारत में भी 'त्रिपुरा' एवं मध्यप्रदेश की जबलपुर कमिश्नरी में 'त्रिपुरी' (आधुनिक 'तीवर ' ) नामक स्थल है। किन्तु वर्णन
1. सभा पर्व 51.23 1 2. भीष्न गर्व 9/60, 50-511 3. दे० एन०एल० हे ज्योल पृ० 98 4. देऐशिमेंट पृ० 1251 5. सभा पर्व 381 291 6. ०पु० 45:131 । 7 का०मी० परिशिष्ट 2. पृ0 280 8 स्क० पु० 1:3:182 9 सभा एवं 31:601