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प्रस्तावना
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कोंकण (14/5/5)
महाभारत के अनुसार यह एक प्राचीन दक्षिण भारतीय जनपद था। स्कन्दपुराण के अनुसार कोंकण एवं लघु कोंकण क्रमश: 36,000 तथा 1422 ग्रामों के देश थे। रघुवंश में इसका अपरनाम अपरान्तक कहा गया है। जिनसेन के अनुसार इसकी अवस्थिति काठियावाड़ तथा अपरान्तक-प्रदेश के आसपास मानी गयी है।' वर्तमानकालीन भूगोल के अनुसार यह पश्चिमी घाट (सहयाद्रि) एवं अरब सागर के बीच का प्रदेश है। गउड (गौड़, 6/3/12, 14/5/5) शक्तिसंगमतन्त्र' नामक ग्रन्थ में 'गउड़' देश का विस्तार बंग से भुवनेश्वर तक बताया गया है। यथा
बंगदेशं समारभ्य भुवनेशांतग: शिवः ।
गौडदेश: समाख्याता सर्वविद्याविशारदः ।। स्कन्दपुराण में भी यही सीमा बतलाई गयी है। अत: प० च० में जिस गउड देश का उल्लेख आया है, उसकी सीमा रेखा वर्तमान-कालीन आसनसोल से बंगाल तक मानी जा सकती है और इस आधार पर आधुनिक पश्चिमी बंगाल के पश्चिमी भाग को गउड देश माना जा सकता है। गज्जती , 1415.55
कवि सिंह ने आधुनिक गजनी देश को गज्जण कहा है। गजनी का शुद्ध रूप वस्तुत: गज्जण अधवा गाजमा ही होना चाहिए। पृथिवीचन्द्रचरित्र (वि०सं० 1478) में भी उसे गाजण कहा गया है। मलिक मुहम्मद जायसी ने 'पद्मावत' में दो स्थानों पर उसे 'गाजना' शब्द से स्मृत किया है, यथा-..
हेम सेत औ गौर गाजना जगत बात फिरि आई। -पद्मावत, 35/5
हेम सेत औ गौर गाजना बंग तिलंग सब लेत। --- पद्मावत, 42:10 स्कन्दपुराण में इसे गाजनक कहा गया है। यह गजनी अथवा गज्जण या गाजनक वर्तमान अफगानिस्तान देश में स्थित है। प्राच्य भारतीय-साहित्य में इसे गजगृह, गजदेश अथवा मातंग-विषय भी कहा गया है। गुर्जर (गुजरात, 14/5/6)
प्रतीत होता है कि प्राचीनकाल में गुर्जर अथवा गुजरात की सीमाएँ उतनी अधिक विस्तृत नहीं थी, जितनी कि आजकल । आज का गुजरात, प्राच्यकालीन सौराष्ट्र, लाट, कच्छ एवं दक्षिणी मारवाड़-प्रदेश मिलाकर बना है।
जैन-साहित्य में गुजरात का विशेष महत्व है। अर्ध-मागधी आमम-साहित्य की अन्तिम वाचना यहाँ के 'बलभी' नामक स्थान में हुई थी। जैन-साहित्य में गुजरात को जैन-संस्कृति का प्रधान गढ़ माना गया है। गंग (14/5/3) ___ महाभारत में इस जनपद का उल्लेख नहीं है। किन्तु आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार कदम्बवंशी नरेशों ने इसे अपने साम्राज्य का केन्द्र बनाया था। उनके अनुसार वर्तमान मैसूर प्रदेश में स्थित गंगवाड़ी और उसके आसपास का प्रदेश ही गंग-जनपद था, जिसके पश्चिम में कदम्बराज और पूर्व में पल्लव-नरेशों का राज्य था।'
1. भीष्म पर्व, 9/601 2. स्क, पु-12:39.14.3। 3. रतु:584. अ०पु० 16:156 1 5. शक्ति सन्तः 3:7:38| 1. दे० पद्मावत विवि (झॉसी), प्रथम संः 21 7. स्क०पुर 33:15 | . दे० प्रा०मा भैगो० स्वः 102-103 | 9.दे.के नीलकाठ गारजी कृत "ीि ऑफ हरिया" tare,५८ 145-1471