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प्रस्तावना
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इस पर भ० महावीर का प्रथम धर्मोपदेश' श्रावणा-कृष्ण-प्रतिपदा को प्रारम्भ हुआ था।। महाभारत के सभा-पर्व में भी विपुल शब्द का उल्लेख हुआ है। वहाँ उसे मगध की राजधानी के समीप का एक पर्वत कहा गया है।
उक्त पर्वतों के अतिरिक्त कवि ने सल्लयगिरि (8:10/11) तथा सराव (8/11/7) नामक पर्वतों के उल्लेख भी किये हैं। इनकी अवस्थिति अज्ञात है। कवि ने विद्याधरों के भ्रमण-प्रसंग में इनका उल्लेख किया है। नदियाँ
अमरसरि (गंगा, 3/13/8,5/17,8 गंगासरि, 15/5/12)
जैन-साहित्य में गंगा नदी अपरनाम अमरसरि, गंगासरि को उसी प्रकार महत्वपूर्ण एवं पवित्र माना गया है, जिस प्रकार वैदिक साहित्य में 1 इसका विशेष परिचय तिल्लोयपण्यत्ति, त्रिलोकसार, तत्त्वार्थसूत्र, सर्वार्थसिद्धि, तत्वार्थराजवार्तिक आदि में प्रचुर मात्रा में मिलता है।
कालिन्दी (2/10/6), जमुद्धी (9/12/4)
कालिन्दी का वर्तमान नाम जमुना ही अधिक प्रसिद्ध रहा है। प्रद्युम्न के पिता कृष्ण ने अपना बचपन एवं युवावस्था इसी की तरंगों से खेलते हुए व्यतीत की थी। भारतीय साहित्य में इस नदी का विस्तृत वर्णन किया गया है। महाभारत के अनुसार कालिन्द-पर्वत से निकलने के कारण ही इसका नाम कालिन्दी पड़ा।
महातीरि (2/11/9)
महाकवि सिंह ने इस नदी का उल्लेख वैताढ्य पर्वत के समीपवर्ती कुण्डिनपुर नगर के समीप किया है। महाभारत में कुण्डिन नामक एक प्रसिद्ध नगर का नाम आता है, जिसे कि विदर्भ देश की राजधानी कहा गया है। बहुत सम्भव है कि कुण्डिनपुर महाभारत कालीन कुण्डिनपुर ही हो तथा उसके समीप बहनेवाली महातीरि नदी वर्तमानकालीन वैनगंगा अथवा पेनगंगा हो।
सीतानदी (4/10/7)
सीतानदी एक पौराणिक नदी के रूप में विख्यात है, किन्तु कवि ने इसे दक्षिणापथ की पुष्कलावती नगरी के समीप माना है। इससे प्रतीत होता है कि यह वर्तमान महानदी का तत्कालीन अपरनाम रहा होगा। अरण्य एवं वृक्ष ___ महाकवि सिंह ने प्रसंगवश वनों की भी चर्धाएँ की हैं। इन वनों में कुछ तो परम्परा प्राप्त एवं पौराणिक वन हैं, जैसे—नन्दनवन (1/8/7)। कुछ वन ऐसे हैं जो विद्याधर-भूमियों से सम्बन्ध रखने वाले हैं, जैसेपंकजवन (7/6/10), पयोवन (8/12/9), अर्जुनवन (8/14/11), विपुलवन (8/14/16), भीम महावन (8/15/8), माकन्द वन (11/3/14)। ___ कुछ वन ऐसे हैं, जिनका वर्णन यद्यपि विद्याधर-भूमियों प्रसंग में किया गया है, किन्तु वे मनुष्य-भूमियों में भी उपलब्ध हैं, जैसे—खडरावड वन (4/2/12. 4/13/8) तथा कपिछ कानन (8/9/9)1 खडरावड़ वह वन है, जहाँ खदिर अर्थात् खैर (कत्थे) के वृक्ष होते हैं। कत्था भारतीय खाद्य-मसालों में अपना प्रमुख स्थान रखता है तथा
1. आपु. 111961 2. सभा पर्व, 212.
.आदि पर्व,60:21 4.टे. महाभारत की नाभानुक्रमणिका. 10701