SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना [69 सोयइँ सुहडत्तणु पासिज्ज ..... शोक से सुभटपने का नाश होता है। -4/6/7 को-को ण गयउ महे भवण भित्तरु - इस महान् भवन के भीतर कौन-कौन नहीं ___गया? (अर्थात् मृत्यु ही अटल सत्य है) -4/9/1 सुर-करिस्स को वसण मोडए - सुरकरी के दाँत को कौन मोड़ सकता है? -13/6/8 डज्झउ धम्म विहूणउँ जो णरु -- जो मनुष्य धर्म विहीन है, वह दग्ध है। -1515/4 विणु णाणे गउ सिवगइ लहेइ - बिना ज्ञान के शिव-गति प्राप्त नहीं हो सकती। -15/19/16 आउक्खइँ जयम्मि को रक्खइ - आयु के क्षय होने पर जगत् में कौन किसे सुरक्षित रख सकता है? -14/10/12 जं समदिदिठ देवि णिहालइ तहो दलिहु सयलु पक्खालइ – जिस प्रकार सम्यादृष्टि देव सभी को समदृष्टि से देखता है, उसी प्रकार दरिद्रता भी सभी को समान रूप से प्रक्षालित करती है। -11/16/9 भुवणयलु तस्स किं दुल्लहु जस्स सपुण्ण सहयरो - जिसका पुण्य सहायक है, उसके लिए भुवनतल में क्या दुर्लभ है। -15/3/2 तसु रवि किरण हउ तेम सयल गउ । - जिस प्रकार तम रवि-किरणों से हत हो जाता है, उसी प्रकार सब कुछ नष्ट हो जाता है। -15/14/16 जाइ सरीरु-वंभ मुनि लक्खणु णउ वष्णु वि। - ब्रह्मचर्य ही मुनि की जाति, शरीर एवं लक्षण है। वर्ण (जाति) मुनि का लक्षण नहीं। -11/97 जो संतहं दंतहं कुणइँ हासु घरु घरिणि ण संपय होइ तासु । --- जो सन्त एवं दान्त जनों की हँसी उड़ाता है, उसके पास घर, गृहिणी एवं सम्पदा नहीं रहती। –9/9/8 सुपुण्णु सहेज्जउ संचरइ तसु खलयणु कुखउ किं करइ ... जो सुकृत्यों को सहेज कर चलता है, उससे खल जन क्रुद्ध हो कर भी उसका क्या कर लेंगे? -9/14/11 पुण्णक्खइ होइ परम्मुहउ घरु घरिणि सयणु सयणिज्जउ – पुण्य के क्षीण हो जाने पर गृह-परिवार, गृहिणी, स्वजन एवं सम्पत्ति आदि सभी पराङ्मुख हो -15/161 पर अहिप जे रोसारुण अयाण। - जो दूसरों के अहित में रोष से लाल रहते हैं, वे अन्नानी हैं। -15/17/15 खीरहो जलु जेम हवेइ जुतु देहु जि आहारु जि भो णिरुतु। - दूध और जल जिस प्रकार मिश्रित रहता है, जाते हैं।
SR No.090322
Book TitlePajjunnchariu
Original Sutra AuthorSinh Mahakavi
AuthorVidyavati Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages512
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy