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महाका सिंह विरइज पञ्जुण्णचरित
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मई वणदेवयब्ध परिमंडबि) अप्पुणुल्हिक्कु वहल लय-मंडवि । ता भमंति महएवि पराइय विविहाहरण-वत्थ पविराइय। पेखिविताएं वुत्तु हय देवय महोपच्चक्ख हूब वर संपय । णविवि-पर्यपिउ महो परमेसरि करहि 'झत्ति सो अणुरत्तउ हरि । पारंभिय वहु गत्त पवित्तिहिं
करहि विरत्तु णवल्ल सवत्तिहिं । हरि हसंतु ता कह-कह सद्दई वोल्लई किं-किं ताल विमद्दइँ ।
सच्चएँ बोल्लिउ कुवियएँ तामहि एहु पवंचु करहि तुहुँ जामहि । घत्ता- इह किं वोल्लमि घिट्ट 'कवडु-कूड दुधियड्ढमई।
गोवहु काहे किर बुद्धि जं उवहसहि सयाइँ सई ।। 219।।
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विण्णिवि इट्ठ भोय भुजंतहि । जा वत्थहि णिय पहु रंजंतहिं । एक्कहिं दिणे सगच वर क्यणहँ किय पयज्ज पेछंतहँ भयणहँ । जासु पुत्तु पढमु जि परिणेसइ सो चलणइँ तहे चिहुर मलेसइ।
तो संजाय विहिमि सुव मणहर णियकुल गह-मंडण ससि-दिणयर । (छिप) गये। उसी समय विविध आभरणों एवं वस्त्रों से विराजित वह महादेवी सत्यभामा घूमती-घामती हुई वहाँ आयी और (वनदेवी के रूप में विराजित) मुझे देखकर बोली—"हे सम्पत्ति शालिनी देवी, प्रत्यक्ष होकर मेरे लिये दर्शन दो। पुनः नमस्कार कर बोली. हे परमेश्वरी मुझ पर शीघ्र ही कृपा करो। जिससे हरि-कृष्णा मुझ पर अनुरक्त हो जावें, प्रारम्भ में तो वे अति पवित्र गात्र वाली मुझ से प्रेम करते थे किन्तु अब नवेली सौत (रूपिणी) ने मुझसे उन्हें विरक्त कर दिया है।" (सत्यभामा की यह मनौती सुनकर पास में ही छिपे हुए) कृष्ण बुरी तरह कह-कहे लगा कर तथा कभी-कभी ताल पीटते हुए "क्या-कहा". क्या-कहा, कह कर बोल उठे। तभी सत्यभामा कुपित होकर बोली, "तुम ऐसा भी प्रपंच करते हो?" घत्ता- "हे धृष्ट, हे कपट कूट. हे दुर्विदग्धमते, मैं यहाँ क्या बोलूँ? तेरी बुद्धि गोप के समान है, जो सदा ही
सत्पुरुषों का उपहास करती रहती है।" || 219 ।।
रूपिणी क्षुल्लक से कहती है कि भानुकर्ण के विवाह के समय मेरा सिर-मुण्डन होने वाला है दोनों ही रानियाँ इष्ट भोग-भोगती हुई अपनी जितनी भी अवस्याएँ हो सकती हैं उनसे प्रभु को आनन्दित कर रही थीं। एक दिन मदनकृष्ण को देखते-देखते उन दोनों ने अहंकार भरी वाणी में प्रतिज्ञा की कि "जिसका पुत्र पहिले परिणय करेगा वह अपने चरणों से दूसरी के केशों को मलेगी (रौंदेगी)।" (इस प्रतिज्ञा के कुछ समय बाद) उन दोनों रानियों के मनोहर एक-एक पुत्र उत्पन्न हुआ। दोनों ही पुत्र अपने कुल रूपी आकाश ta) I. अ. निरहि। 2-3. अ. सातवें घले के ही ली ग
(R) (2) स्थायित्या । (३) संयुतं । [4) सत्यभामया। (5) कोपत्रतया । यह दे दिये है।
{6) सत्पुरष्णगा। (9) (1) यस्पः