________________
महाकर सिंह विरइज पम्जुण्णचरिउ
[227
पुफिया या साश्वेत विभूषणांग रुचिरा श्वेतांशूकैः शोभिता, या पद्मासन-संस्थिता शुभ्रतमा जान प्रमोद प्रदा। या वृन्दारुकवृन्दवन्दितपदा विद्वज्जनानां प्रिया । सा मे काव्य-कथा-पथाश्रितक्तो दाणी प्रसन्ना भवेत् ।। 2।।
पुष्पिका– कवि द्वारा सरस्वती वंदन जो सरस्वती श्वेताभूषण वाली है, जो महान् श्वेत वस्त्रों से सुशोभित है, जो पद्मासन से विराजमान है. शुभत्तमा है, शुभयान वाली है, जो समस्त जनों को हर्ष देने वाली है, जो याचक वृन्दों से वन्दित चरण वाली है, जो विद्वज्जनों की प्यारी है, वह सरस्वती काव्यकथा रूपी आश्रय करने वाले मुझ कवि सिंह की वाणी पर प्रसन्न होवे ।।