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प्रस्तावना
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13. प्रद्युम्नचरित्र
मल्लिभूषण
संस्कृत
17वीं शती 14. प्रद्युम्नचरित्र
वादिचन्द्र
संस्कृत
17वीं शती 15, शाम्बप्रद्युम्न रास ज्ञानसागर
हिन्दी
17वीं शती 16. शाम्बप्रद्युम्न चौपई जिनचन्द्र सूरि हिन्दी
17वीं शती 17. प्रद्युम्नचरित्र
भोगकीर्ति
संस्कृत
17वीं शती 18. प्रद्युम्नचरित्र
पिने स्वर सुन
सत्त 19. प्रद्युम्नचरित्र
'यशोधर
संस्कृत 20. प्रद्युम्न लीला वर्णन शिवचन्द गणि
संस्कृत 21. प्रद्युम्नचरित्र
संस्कृत 22. प्रद्युम्नचरित्र भाषा खुशालचन्द्र
हिन्दी गद्य 23. प्रद्युम्नचरित्र
देवेन्द्र कीर्ति हिन्दी
सं 1722 वि० 24. प्रद्युम्नरास
मायाराम
हिन्दी
सं0 1818 वि० 25. प्रद्युम्नचरित्र
रत्नचन्द्र गणि
संस्कृत
सं0 1834 वि० 26. शाम्ब प्रद्युम्न रास हर्षित विजय
हिन्दी
सं० 1842 वि० 27. प्रद्युम्नप्रकाश
शिवचन्द
हिन्दी
सं० 1879 वि० 28. प्रद्युम्नचरित्र
बख्तावर सिंह
हिन्दी गद्य सं० 1914 वि० 29. प्रद्युम्नचरित्र
भन्नालाल
हिन्दी गद्य सं0 1916 वि० 30. प्रद्युम्नचरित्र भाषा
सं० [94] वि० 31. प्रद्युम्नचरित्र 32, प्रद्युम्नचरित्र
हिन्दी 33. प्रद्युम्नचरित्र टीका
हिन्दी गद्य 34. प्रद्युम्नचरित्र वृत्ति देवसूरि
संस्कृत 35. प्रद्युम्नचरित्र
हिन्दी
सं० 194। वि० (2) विषयवस्तु (कथा-संक्षेप):- सिद्ध कवि कृत प्रस्तुत पक्षुण्णचरिउ की संक्षिप्त कथावस्तु उसकी सन्धियों एवं कड़वकों के कमानुसार यहाँ प्रस्तुत की जा रही है
पम्पा एवं देवण का पुत्र महाकवि सिद्ध सर्वप्रथम अपने आराध्यदेव एवं वाग्देवी सरस्वती का स्मरण कर अपने गुरु मलधारीदेव अमृतचन्द्र की प्रेरणा से पज्जुण्णचरिउ (प्रद्युम्नचरित) के प्रणयन की प्रतिज्ञा करता है और पूर्वागत-परम्परा का ध्यान रखता हुआ वह अपनी रचना की मूल कथावस्तु इस प्रकार प्रस्तुत करता है – (कड़वक संख्या 1-5)
मगधदेशान्तर्गत राजगृह के विपुलाचल पर्वत पर आये हुए बीर-प्रभु के समवशरण में आकर राजा सेणिय (श्रेणिक) ने गौतम गणधर से कुमार प्रद्युम्न के चरित को जानने की इच्छा प्रकट की, जिसके उत्तर में गौतम गणधर ने बतलाया कि जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित सोरठ्ठ (सौराष्ट्र) देश की दारामई नगरी (द्वारामती