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________________ 30] महाकड़ सिह विराउ पञ्जुण्णचरित यहाँ यह तथ्य ध्यातव्य है कि प्राकृत एवं अपभ्रंश कवियों ने पौराणिक आख्यानों को चरित कहा है। इसका कारण सम्भवत: यही था कि वे जीवन-वृत्त को सामान्य-चरित ही मानते रहे। अत: संस्कृत एवं प्राकृत का अधिकांश पुराण-साहित्य चरितनामान्त ही मिलता है। __ जैन भान्यतानुसार प्रद्युम्न 169 पुराण पुरुषों में से एक माने गए हैं। इनकी गणना 24 कामदेवों में की गयी है। ये 9वें नारायण–श्रीकृष्ण के पुत्र तथा चरमशरीरी (उसी जन्म से मोक्ष जाने वाले) माने गये है। इनका चरित्र विविध दिव्य-चमत्कारों एवं विशेषताओं से परिपूर्ण है। मानव का उत्थान एवं पतन किन-किन परिस्थितियों में तथा पूर्व-जन्म के संस्कारों के कारण किस-किस प्रकार होता है, उसका चित्रण प्रद्युम्नचरित में आकर्षक ढंग से किया गया है। प्रस्तुत पज्जुण्णचरिउ की कथा का मूलसोत संघदासगणि (5वीं सदी के आसपास) कृत वसुदेवहिंडी, आचार्य जिनसेन प्रथम (वि०सं0 840) कृत हरिवंशपुराण, गुणभद्र (898 ई०) कृत उत्तरपुराण, महाकवि पुष्पदन्त (959 ई०) कृत अपभ्रंश महापुर?ण एवं कवि महासेन (974 ई०) कृत संस्कृत प्रद्युम्नचरित हैं । महाकवि सिद्ध ने वसुदेवहिंडी के पाढेप-प्रकरण एवं जिनसेन (प्रथम) कृत हरिवंशपुराण (के 42-48 सर्ग) से कथासूत्र ग्रहण कर तथा उक्त उत्तरपुराण (के 72वें सर्ग), महापुराण (के 91-92 वीं सन्धि) एवं प्रद्युम्नचरित से कुछ घटनाक्रमों का संकलन पर प्रद्युम्न के जीवन-वृत्तान्त को एक नवीन मौलिक रूप प्रदान कर और अपभ्रंश में सर्वप्रथम स्वतन्त्र मौलिक रचना का प्रणयन कर परवर्ती विविध कवियों के लिए एक नया अलोक प्रदान किया है। कालक्रमानुसार प्रद्युम्नचरित-कथा का विकास (ज्ञात एवं उपलब्ध कृतियाँ) । जैन कवियों ने आधारभूत ग्रन्थों से सन्दर्भ-सामग्री ग्रहण कर विविध कालों में विविध भाषाओं एवं शैलियों __ में अनेक स्वतन्त्र ग्रन्थों की रचना की है। उनकी एक झांकी यहाँ प्रस्तुत की जा रही है— कालक्रमानुसार प्रद्युम्नचरित-कथा-विकास (ज्ञात एवं उपलब्ध कृतियाँ) रचना लेखक भाषा 1. प्रद्युम्नचरित्र महासेनाचार्य संस्कृत 10वीं शती 2. पज्जुण्णचरिउ महाकवि सिंह अपभ्रंश 13वीं शती 3. प्रद्युम्नचरित सधार हिन्दी सं० !4]| वि० 4. प्रद्युम्नचरित्र सकलकीर्ति संस्कृत 15वीं शती 5. प्रद्युम्नचरित रइधू अपभ्रंश 15वीं शती 6. प्रद्युम्नचरित्र सोमकीर्ति संस्कृत सं० 153] वि० 7. प्रद्युम्नचरित्र कमलकेशर हिन्दी सं0 1626 वि० 8. प्रद्युम्नरासो ब्रह्मराय मल्ल हिन्दी सं० 1628 वि० 9. प्रद्युम्नचरित्र रविसागर संस्कृत सं० 1645 वि० ___10. शाम्ब प्रद्युम्नरास समयसुन्दर राजस्थानी सं० 1659 वि० ___11. प्रद्युम्नचरित्र शुभचन्द्र संस्कृत 17वीं शती 12. प्रद्युम्नचरित्र रतनचन्द्र सं० 1671 वि० काल संस्कृत
SR No.090322
Book TitlePajjunnchariu
Original Sutra AuthorSinh Mahakavi
AuthorVidyavati Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages512
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
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