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महाफड़ सिंह विरइज पज्जपणचरित
[6.15.6
जान पयट्इ
अवसरु बट्टइ। ता लंविध-धउ
पय चोइय गउ। सुणेवि महारउ
झत्ति समगाउ। 'समरि अकायर
महुहि सहोयरु। कडिहु कय छिनु
यदि मुगवत तेणि अरिर वारिउ
रणे पच्चारिउ। बलु ऊरइ तुहुँ
जोव इ मुहु-मुहु। ता भड भीमई
णिय करि) भीमइँ। चोइउ लेत्तहिं
कयडिहु जेत्तहिं । 15 बेवि महाभड़
सूडिय गय-धड। भिडिय समच्छर
तोलिय अच्छर। कइडिहु करिवरु
किउ सो जज्जर संठिउ णिध्चलु
हुउ विउलंघलु। घत्ता- तो तहि कइडिहेण लहविज्जकरण संहविउ । णिय करे ''कंधि ठिउ उम्फिडिवि भीमु रणे बद्धङ।। 98 ।।
(16) अवर केवि भड खागालिंग धीरिय केवि-केवि णिहय रणंगणे । हुआ, महाशब्दों को सुनता हुआ कैटभ शीघ्र ही वहाँ आ गया। वह कैटभ समर में अकायर (वीर), मधु का सहोदर भ्राता, अपने भुजबल को प्रकट करता हुआ वहाँ आया। उसने अरिराज भीम को रोका, रण में फटकारा
और कहा--"तेरा बल नष्ट हो गया है इसलिए बार-बार मेरा मुँह देखता है" तब योद्धा भीम ने अपने भीम नामक भयानक हाथी को कैटभ की ओर चलने को प्रेरित किया। दोनों ही महाभट गजों की घटाओं को काटते हुए मत्सर भाव सहित तथा अप्सराओं को सन्तुष्ट करते हुए भिड़ गये। ____ कैटम का जो उत्तम गज था, उसे भी भीम ने जर्जर कर दिया तथा वह घबरा कर निश्चल हो गया। धत्ता- कैटभ ने लघुविद्य नामके हाथी को ला खड़ा किया। भीम भी अपने हाथी के कन्धे पर उछल कर
जा बैठा और रण में बढ़ा ।। 9४ ।।
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(16) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) अरिराज भीम को पराजित कर राजा मधु बापिस घर लौटा।
वसन्त-ऋतु का आगमन । और अन्य कोई भट् खड्ग के आलिंगन में काम आये तो कोई (भट ) कोई रणांगण में धर कर मारे गये ।
मई।
(15) 5.
3 6 -'. अ. 9. अ खेतु। 10.
धहि नहुँ | K.4 सन्नदा।।1. अज।
(15) 1|| पाके।।