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नाका सिर मिल पागनीः
[6.8.11
घत्ता– तिपिण वि वुद्धिउ तास ससिउँ तिण्ण फुरति केम।
परिपालिय कुवलयहो आसि कणयणाहहो वि जेम।। 91 ।।
महुरायहो रिउ को खलइराउ कलिकुमरु जासु कइडिहु सहाउ। तहो रज्जु कुणंतहँ भुवणे ताम अवरु वि गय वारह-वरिस जाम । एत्यंतरे रणभरे 'अरिहि भीम सायंभरि-वइ णिउ णाम भीमु । तिणि कंद लु चालिउ कय-छलेण महुरायइँ सहुँ दुग्गहो बलेण। अरिराय धम्मक्कु विरह धरिउ तं णिसुणेवि महु सणभु तुरिउ । हक्कारिय मंडलवइ स णाम सामंत समरे जे भिडण काम। सेणाबइ अरिसेण हो कयंत तंताहिव परिपालिय सुतंत।
साहणिय सु सुहड अणंत जोह' संजोइय धय-चल चामरोह । घत्ता– पल्लाणिय तुरिय मयमत्त महागय सज्जिय।
रह जोत्तिय पवर जय पूर तूर खण बज्जिय।। 92 ।।
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पत्ता- पृथिवी का पालन करते हुए उस मधु राजा की तीन बुद्धियाँ एवं तीन शक्तियाँ किस प्रकार स्फुरायमान
हुई? ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार कि राजा कनकनाथ को स्फुरायमान हुई थीं।। 91।।
(प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) शाकम्भरी नरेश राजा भीम एवं राजा मधु के युद्ध की तैयारियों
जिस मधु राजा का कलिकुमार एवं युवराज कैटभ सहायक थे, उसका शत्रु कौन हो सकता था? कौन-सा ऐसा राजा था जो उसे स्खलित करता? भुवन में उसे राज्य करते हुए बारह वर्ष व्यतीत हो गये। उसी समय रण में शत्रुओं के लिए भयंकर शाकम्भरी नगरी का स्वामी भीम नामका राजा था। उसने छलपूर्वक दुर्ग के बल से मधुराजा के साथ लड़ाई चलायी। ___“अरिराज रौद्र रूप धारण कर आ धमका है यह सुनकर मधुराजा तुरन्त युद्ध की तैयारी करने लगा। उसने समर में भिड़ने के इच्छुक सामन्तों एवं मण्डलपति को अपने नाम पर बुलाया। साथ ही अधिप–राजा मधु के राज्य का सुयुक्ति पूर्वक पालन करने वाले तथा अरिसेना के लिए कृतान्त के समान सेनापति को बुलाकर आदेश दिया कि—"ध्वजा और चंचल चामर समूहों से युक्त सुभटों के अनन्त-समूह को तैयार करो।" घत्ता-- तब घोड़ों पर पलान बाँधे जाने लगे। मदोन्मत्त हाथी सजाये जाने लगे और तत्काल ही जयघोष से
लोक को पूर देने वले तूर बज उठे।। 92 ।।
(9) 1. अ. भड। 2. ब. 'क' | 3. बहो '। 4.4
घ'।