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5.10.4]
महाका सिंह विरह पज्जुष्णचरिउ
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अट्ठ-पंच-ति-चयारि सु समय) । अणुदिणु वारह परिपालण रय। चउविह-संघहँ दाणु करतहँ
दंसण-णाणु चरिउ चिंतंतहँ। किरिया पुल्वइँ अरुहु-णवतहे कालु जाइ जा उत्तमसंतहँ। ताम वि सोमसम्मु जो तहँ पिउ जण्ण बिहाणइँ पसुणि हणिवि दिउ । सो कालहिं जतेहिं विवण्णाउँ
स पिउ वि रयणप्पहे उप्पण्णउँ। सो अणुह बइ तंजि जं जो कर अह सुहु तहँ जीवंतहँ दुक्करु । पत्ता- जीव दया वरहँ दिढ वय धरहँ तह अग्गिभूइ-मरुभूइहे।
सालिगाम ठियहँ दोहिमि दियहँ भुंजतहँ विविह-विहूइहिं ।। 76।।
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गय दिवसहि ते बिण्णिवि भायर दसण-णाण चरित्ते कयायर । परम पंच-णवयार सरेप्पिणु _ मुणि पंडिय-मरणेण-भरेप्पिणु । अणिम्मलु वि पुणु आपतिकानि मोहम्मे को इगलि वि
बहुविह 'सुर-सोक्खइँ भुजेप्पिणु अमर वरंगण सय रंजेप्मिणु। ___ सम्यक्त्व सहित आठ मूल गुण तथा पांच अणुव्रत, तीन गुणव्रत एवं चार शिक्षाव्रत रूप बारह व्रत आगम के अनुसार ही अनुदिन पालन करने में रत रहने लगे। चतुर्विध संघ को दान करते हुए, सम्यग्दर्शन, ज्ञान एवं चारित्र रूप रत्नत्रय का चिन्तन करते हुए तथा क्रिया (विधि) पूर्वक अरहन्त को नमस्कार करते हुए उन उत्तम सन्तों का काल व्यतीत होने लगा।
उन पुत्रों का पिता सोमशर्मा द्विज भी यज्ञ विद्यान से पशुओं को मारता था। वह भी अपना आयुष्य काल व्यतीत करता हुआ मरा और रत्नप्रभा नामक प्रथम नरक में उत्पन्न हुआ। अपने पूर्व-जीवन-काल में उसने जिन-जिन दुष्कर्मों को करते हुए भौतिक सुख भोगे थे, उनके फलों का भोग उसने वहाँ (नरक भूमि में) जाकर किया। यत्ता- जीव दया में तत्पर दृढ़ व्रतधारी, शालिग्राम में स्थित उन अग्निभूति एवं वायुभूति नामक दोनों द्विजों का, विविध विभूतियों को भोगते हुए समय व्यतीत होने लगा।। 76।।
(10) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) दोनों सौधर्म देव (दोनों विप्र-पुत्र के जीव)
अयोध्या की सेठानी धारणी के पुत्र रूप में उत्पन्न हुए वे दोनों भाई सम्यादर्शन, ज्ञान एवं चारित्र का आदर करते थे। इसी प्रकार दिनों के बीत जाने पर जब मरण-काल आया तो उन्हें परमपंच णमोकार मन्त्र का स्मरण कर मुनि पद धारण कर लिया। पुन: पण्डित मरण से मरे और अति निर्मल पुण्य उपार्जन करने के कारण वे दोनों सौधर्म स्वर्ग में उत्पन्न हुए और वहाँ अनेक प्रकार के उत्तम सुख भोगते हुए तथा सैकड़ों अमर वरांगनाओं के साथ मनोरंजन करते हुए समय व्यतीत करने लगे।
(9) |.ब. दि। (10) 1. बव।
(9) ८) मूलगुणा अगुव्रत, गुण, शिक्षा । (2) सम्यक् सहित । (10) (1) उपजींपत्या।