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4.6.2]
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महाकद सिंह विरद्दड पज्जुण्णचरिउ
मुच्छाविय सा पज्जुण्ण-माय गोसीरह- धणसारहो जलेहिं उठाविय हा-हा सुअ भांति हा वच्छ-वच्छ कुवलय-दलच्छ हा वाल-वाल अलि-णील-बाल हा- कंटु-कंठउज्जय सुणास मोक्कल-कल- कोतल तोडणेण विहुणिय-तणु सिर-संचालणेण रूविणिएं स्वतिए) कु-कु-ण रुण्णु पत्ता- तं णिसुणेवि महुमहणु रणे परवले
विहलंघल रुवाए वि जाय । सिंचिय सुसुगंधहिं सीयलेहिं । विलवंति कति रुवंति संति । पद्मं पेछमि कहिँहउं सेय तुच्छ (2) करयल-जिय रत्तुप्पल-सुणाल (३) । हा सवण विणिज्जिय मयण-पास कोमल-करयल उरे ताडणेण । पाणियल- धरणि अष्फलणेण । बारमइहे णं संखउलु"" भिण्णु । कय- भद्दहिं ।
पिउ वसुएवेण सहिउ दस-दसार बलहद्दहिं ।। 55।।
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वत्थु - छंद- इम मिलेविणु सरल तहिं समए
गायर पर परिवरिय संपत्त रूविणिहि राउले ।
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की माता रूपिणी विह्वल होकर जब मूर्च्छित हो गई, तब सुगन्धित शीतल गोशीर्ष ( चन्दन) और कर्पूर के जलों से उसे सींचा गया। मूर्च्छा टूटने पर उसे उठाकर बैठाया गया। वह "हा पुत्र – हा पुत्र" कहती हुई, विलाप करती हुई, माथा पीटती हुई, रोती हुई कह रही थी कि हा पुत्र, हा पुत्र, तुम्हें कौन ले गया ? मेरा हृदय शतखण्ड होकर फूट रहा है । हा कुवलय दलाक्ष वत्स, हा वत्स । श्रेय तुच्छ ( पुण्यहीन ) में तुझे कहाँ देखेँ, कहाँ देखूं ?
हा अलिनील बाल (केश) बाल, हा बाल । करतल से रक्त कमल को जीतने वाले सुनाल (विशाल पैर वाले) बाल । हा कम्बु (शंख) समान कण्ठ वाले हे बाल, उन्नत नासिका वाले हे बाल । हा श्रवण से मदनपाश को विनिर्जित करने वाले हे बाल । हा ! इस प्रकार वह रूपिणी रानी कभी खुले बिखरे सुन्दर केशों को तोड़ती थी । कभी कोमल करतल से उर को (छाती को ) ताड़ती थी— पीटती थी। कभी सिर घुमा घुमा कर शरीर को धुनती थी, कभी पाणितल से पृथिवी को पीटती थी। हूं, हूं, हूं, हूं, शब्दों से रूपिणी जब रो रही थी तब द्वारावती में ऐसा कोई नहीं था, जो न रोया हो। मानों शंखकुल ही फूट पड़ा हो ( रो रहा हो ) ।
घत्ता
रण में घरबल का मर्दन करने वाले मधुमथन और बलभद्र उस पुत्र के अपहरण का वृत्तान्त जान कर तथा रूपिणी का विलाप सुनकर पिता वसुदेव सहित दशों दिशाओं में खोजने निकल पड़े ।। 55 ।।
रूपिणी एवं हरि की शोकावस्था का वर्णन । सभी राजा पुत्र की खोज में निकल पड़ते हैं वस्तु-छन्द — इस दुखद घड़ी में समस्त नागर जन सपरिवार मिलकर रानी रूपिणी के ध्वजाओं से अलंकृत, कनक-कलशों से मनोहर एवं रमा से भरपूर राजकुल में पहुँचे। वहाँ उन्होंने उस भीष्म की सुता
(5) (2) पुनिरहिता । (3) विशाल | (4) हूं हूं हूं इति रुदंति । ( 5 ) समूह