SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाकर मिह विरइत पारपाचरिउ [3.7.11 घत्ता... हरि तक्खणे चलेवि रूविणिहिं मिलिवि पण्णु होइ ठिउ जामहि । कय-सिंगारवर तंबोलकर सा सच्च समागय तामहिं ।। 43 || (8) गाहा ता विभिय महएवि रूवा'ए विहि-रू' दळूण। धवलंसु धवल-कुंडल गोसीरुहर) धवल-तणु-अंगी।। छ ।। इमं चिंतमाणा स सच्चाहिहाणा। णियच्छवि 4) रूब णिरं सारभूव। किमेसा वि देवी सु उज्जाण सेवी। मह भत्ति "भारं मुणेऊण सारं। पदंसेइ अप्पं कुणती वियप्पं । स कण्ह स्स जाया सचेला नि बहाया। गया तत्थ देवी पमोत्तूण वावी। जहिं रूव-राणी सु-सोहग्ग-खाणीं। तहो पाय-पोम्मा णुया तीए रम्भा। सिरे णाविऊणं पयं पेयणूणं । धत्ता- हरि तत्क्षण वहाँ से चलकर तथा रूपिणी से मिलकर वहीं उपवन में छिप गया। (और इधर) वह सत्यभामा उत्तम-शृंगार कर ताम्बूल हाथ में लिए हुए उपवन में आयी।। 43 ।। (8) शुभ्र वेशधारिणी रूपिणी को भ्रम से वनदेवी मानकर सत्यभामा उससे मनौती माँगती है गाथा— उस उपवन में सत्यभामा महादेवी के रूम से भी अधिक विशिष्ट रूप को देख कर विस्मित हुई। वह सोचने लगी कि "इसके अंशु (वस्त्र) धवल हैं, कुण्डल धवल हैं, गोसीरुह धवल है और यह कृशांगी भी धवल है।" || छ।। ___वह सत्य नामकी भामा उसके पूर्ण सारभूत रूप को देखकर विचारने लगी--.."क्या यह उद्यान्न सेवी देवी है? मेरे लिए यह भक्ति के योग्य सारभूत है, ऐसा विचार कर वह विकल्प करती है तथा अपने को उस देवी के सम्मुख प्रदर्शित करती है। कृष्णा की वह जाया (पत्नी) सत्यभामा वस्त्र सहित बावड़ी में स्नान कर दापी को छोड़कर वहाँ गयी जहाँ उत्तम सौभाग्य की खान स्वरूपा देवी रूपिणी बैठी थी। उस सत्यभामा ने उसके रम्य पाद-पद्मों को नमस्कार किया। उसके चरणों में सिर को झुका कर प्रार्थना करने लगी है देवि. हरि मेरा भक्त हो जाय, वह मुझमें अनुरक्त । 44) अवलोक्येत । (a) I- 5.41 EM स्वातउ । 3. अ. “ची। 4. अ. "या। सा । 7. असुरस। (8) (1) अंशुक तस्त्र: । (2) श्रीखंड। (0) (5) सत्तेल्स्नलंकृत्वा :
SR No.090322
Book TitlePajjunnchariu
Original Sutra AuthorSinh Mahakavi
AuthorVidyavati Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages512
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy