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महाकर सिंह विरइड पज्जुष्णचरिउ
तं पेच्छिवि रूविणि भणइ एम तापलय- समुटु वसुह पमुक्कु अवरू वि रूउ वि रूविणिहि भाइ पहरण- दुज्जउ () णं गयणु घाइ सिसुपाल विरुवकुमार सूर बादल-भल्लका गय- सुरद असि-सूल स-सव्वल केविभिडिय फेरति कुंत केवि सेल्ह हत्थ छत्ता— पुणु धणु-गुण- टंकारु किउ
(18) 1. अ 'दि' ।
महु ताउ' - भाइ रक्खियहि देव । सिसुपालु ससाणु झति ढुक्कु । उच्छलिउ पलय समुहु गाइ । " चालिउ बलु पुहमिहि कहिण माइ । णं भिडिय विडप्पहु (6) चंद-सूर ।
ल्लति सुभड' कण्णहो सदप्प |
जह मय-समूह केसरिहि चर्डिय । हलिणा हल - पहरहिं किय णिरत्थ । परवल-घण-पवणेण ।
हक्क सो समुहं तु सिसुपालु वि अरिदमणे (४) ।। 33 11
(18)
दुबई— बुच्चइ जाहि-जाहि मा पह सहि जम - मुह - कुहर - दुखरे । तुहुं सिसुपाल काल-खद्धोसि किं (1) जाहि अहि ष्ण-कंधरे ।। छ । ।
(17) 4. अम 5. अ. 'भु' । 6. अ. में यह पंक्ति नहीं है।
7. व. वम 8. 4. "ग"
वासुदेव के इस कार्य को देखकर रूपिणी बोली - "हे देव, मेरे तात और भाई की रक्षा करना । तभी समुद्र एवं वसुधा पर प्रलय मच गया। राजा शिशुपाल अपने साधनों सहित वहाँ आ ढुका और इधर उस रूपिणी का भाई प्रहारों में दुर्जय रूपकुमार भी प्रलय कालीन समुद्र के समान वहाँ आ उछला। ऐसा लगता था मानों गगन का घात होने वाला हो। वह (रूपकुमार ) अपने इतने अधिक सैन्य समूह के साथ चला कि वह पृथिवी पर कहीं समा नहीं पा रहा था। शिशुपाल एवं शूरवीर रूपकुमार नारायण से ऐसे भिड़े कि प्रतीत होता था मानों सूर्य एवं चन्द्र राहु से जा भिड़े हों। योद्धागण वावल्ल, भल्ल, कणिक, खुरप्प आदि को दर्प सहित कृष्ण की तरफ छोड़ने लगे। कोई सुभट तो असि लेकर भिड़ा कोई शूल लेकर भिड़ा और कोई सव्वल लेकर उसी प्रकार आ भिड़े जिस प्रकार मृगसमूहों पर केशरी जा चढ़ता है। कोई सुभट तो कुन्त फेरता था और कोई हाथ में लेकर शैल फेरता था । किन्तु हली — बलदेव ने तत्काल ही अपने हल प्रहरण से उन सबको निरर्थक कर दिया । घत्ती पुनः परबल - सेना रूपी मेघों के लिए पवन के समान हली ने धनुष की डोरी का टंकार किया । अरिदमन नामक कृष्ण के सारथि ने उन्हें शिशुपाल के सम्मुख हकाया ( ला खड़ा किया) ।। 3311
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(18)
शिशुपाल एवं हरि हलधर का बाण - युद्ध
द्विपदी - अरिदमन ने कहा- "जा जा रे शिशुपाल, दुर्धर यममुख के छिद्र में प्रवेश मत कर। हे शिशुपाल तू क्या काल का खाया हुआ है ? जो अहीन ( नागिन ) के कंधर में जा रहा |" ।। छ । ।
(17) (5) आवद्द दुर्जय । (6) राहुहो । ( 7 ) शिशुपालः | ( 8 ) कृष्ण सारथिना ।
(18) (1) किबहुना |