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महाकम सिंह विरडउ पज्जुण्णचरिउ
किं बुद्धि-सिद्धि किं कित्ति-सत्ति पण्णम-कुले किं सुरलोय-मेत्ति (1) मुणि(3) पण णिसुण मज्झु वणु उच्छवण- सालि घण-धणिर छेति उत्तरदिसिं दाणि जणिय हरिसु वेयब्भ (4) महा-तीरिणिहे तीरे
त कुंडिणपुरु णामेण णयरु
छत्ता— चाउद्दिसु मह - मह जहि अणुदिणु सुविसेसइँ ।
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गावित्ति - सरासइ संति सत्ति । एहु उवलद्धउ भणु मुणि कहंति (2) जहिं दिठु एहु मइ णारि - रयणु । वर वि'सउ एक्कु इह भरहछेति I अणय वरिषु । मालइ मल्लिय सुरहिय समीरे । मयणाहि बहलु ध्णसारु पवरु ।
णिम्मिउ णं भ्रणएण अमराहिव आएसई ।। 27।।
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दुबई -- तहिं कुसुमसरु देउ पुरवाहिरे णंदणवणे मोहरो । जेण' अणू हंतु मुअवि जगु णडियउ हरिवंभु वि पुरंदरी ।।
तहिं भीसमु णामेण पहाणउँ
तासु पट्ट महवि महासइ रुवकुमारु णामु तहि गंदणु
(11) 2. अ. हुँ । 3. अ. ले। 4. प. स (12) 1. म. '' नहीं है। 2. ॐ ॥ |
।।
खति खत्त- धम्मु जगे जाणिउँ । सिरिरूवेण व पामें सिरिमइ । (2) सज्जण-जण-मण पण्यणाणंदणु ।
या सिद्धि अथवा कीर्ति या शक्ति ? क्या गायत्री है या सरस्वती ? शान्ति है अथक सती, यह पन्नगकुल की है अथवा सुरलोक कन्या ? हे मुनि, ऐसी कन्या आपने कहाँ से प्राप्त की है?" यह सुन कर मुनि नारद ने कहा-* (हे नारायण ) मैंने इस नारी रत्न को जहाँ देखा है, उसके विषय में मेरा कथन सुनो। इसी भरतक्षेत्र में इक्षुवन तथा शालि के धने - घने क्षेत्रों के मध्य एक उत्तम देश बसा हुआ है, जिसकी उत्तर दिशा की दाहिनी ओर हर्षोत्पादक, अतिमनोहर धन-धान्य-कनक वर्षावाला, वेदर्भा नाम की महानदी के तीर पर मालती- मल्लिका से सुगन्धित वायु वाला कुण्डिनपुर नामका नगर है, जो मृगनाभि बहुल एवं कर्पूर प्रधान कहा जाता है । घत्ता -- जो प्रतिदिन अपनी विशेषताओं के कारण चारों ओर श्रेष्ठता का प्रसार करता रहता है। ऐसा प्रतीत होता है मानों देवेन्द्र के आदेश से धनद ने ही उसका निर्माण किया | | 27 ||
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चेदिपति के साथ रूपिणी के विवाह की तैयारी की नारद द्वारा नारायण को सूचना
द्विपदी- "वहाँ नगर के बाहर मनोहर नन्दनवन में कुसुमशर (कामदेव ) नामक देव हैं, जिसने जगत में अरहन्त को छोड़कर हरि, ब्रह्मा एवं पुरन्दर को भी नचाया है । । छ । ।
वहाँ क्षात्र धर्म को पालने वाला, संसार में प्रधान रूप से प्रसिद्ध भीष्म नामका राजा राज्य करता है। उसकी पट्टमहादेवी महासती लक्ष्मी एवं सौन्दर्य में पथार्थं श्रीमती नामकी प्रधान महारानी है। सज्जन जनों के मन एवं नेत्रों को आनन्द देने वाला रूपकुमार नामका उसका पुत्र तथा उससे छोटी सर्व सुलक्षणा, सुविचक्षणा रूपिणी
(11) (1) मैत्री (2) कुत्रा (3) नारदः । (4) वैदर्भ (12) ) लक्ष्मी (2) श्रीमती