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महाकद सिंह विरइउ पज्जुण्णचरित
[1.12.8
आउलिउ ताम जल-जंत्तु चक्कु पाढीणु) मयरु4) -कक्क) एक्कु।
पारिहरिवि उवहि णह वीढि चलिय रासिहि मिसैण उगपाहो मिलिय। घत्ता--- सायरु जहि भुल्लउ णहयलि तुल्लउ काइँ णयरि तहि वण्णिय। पडु-पडह सहासहिं मंगल-घोसहिं कण्ण बडिउ णायणिय. ।। 11 ।।
(12) वारबइ कि वण्णण' तरइ को वि जा पेछिवि मणि विभिउ ण कोवि। उववणि सहति जहिं कोइलाई तहि सरिसु णमरु पुरु कोइलाई । जहि जणु रंजइ पंजर सुरहिक) घर सहइ *चवंतहिं सिसु सुएहि । रायालय मत्ता वारणेहिं
सुविचित्ता' मत्ता वारणेहि। तोरणहिं रयण-मणि-गण-विचित सोह-यलहिं जहिं वर-विविह-चित्त । मढ-भढिय पदर जहिं जिण-विहार वच्छयलण मणुयह जहिं विहार । वसएव तणउ जगे पुण) भाय वलहद्ददेव स कणि? भाय ।
चउवाहु दंडु जण-जणिय-राउ महुमहणु णामु तहि अच्छिराउ । में आकुलित हो उठे। मीन, मगर, कर्कट वहाँ (आकाश में) इकट्ठे कैसे रहते? (यहाँ पर कवि की मीन, मकर, कर्क, राशियों की कल्पना है)। (कत्रि के विचार से) ये मीन, मगर, कर्कट नामके जन्तु (तभी से) समुद्र को छोड़ कर नभोवीथी (आकाश मार्ग) में चले गये और राशियों के बहाने उडु (तारा) गण से मिल गये हैं। पत्ता- सागर भी जहाँ भूल गया (जिस नगरी को देखकर अपने को भूल गया) और नभस्तल में जाकर तुल
गया (उछल गया) उस नगरी की शोभा का वर्णन कौन कर सकता है। हजारों पटहों तथा मंगल घोषों से कर्ण पतित होने पर भी उसे (पूरी तरह) सुनाया नहीं जा सकता।। 11 ||
(12) ___ द्वारावती (द्वारिका) के राजा मधुमथन -- कृष्ण का वर्णन द्वारावती का वर्णन करने में कौन समर्थ होगा? उसे देखकर कौन अपने मन में आश्चर्यचकित नहीं होगा? जहाँ कोयलें उपवन में शब्द किया करती हैं कि इस नगरी के सदृश बड़ा नगर पृथ्वी में और कौन है? जहाँ के लोग पिजड़े के शुकों से रंजित किये जाते हैं। जहाँ के घर बोलते हुए शिशु-पुत्रों से सुशोभित रहते हैं। जहाँ के राजप्रासाद सुन्दर छज्जों तथा सुविचित्र मदोन्मत्त हाथियों से सुशोभित हैं। जो नगरी विचित्र रत्न एवं मणियों से युक्त तोरणों एवं चित्र-विचित्र विविध श्रेष्ठ भवनों से अलंकृत है। जहाँ मठ एवं मढियों से प्रदर जिनविहार (मन्दिर) बने हुए हैं। जहाँ वत्सों (बच्चों) के चरण वाले मनुष्यों के विहार (भवन) हैं (अर्थात् घर-घर में बच्चे हैं)। ___ पुण्य भाग्य वाले वसुदेव का पुत्र बलभद्रदेव का कनिष्ठ भाई एवं त्याग रूपी बाहु के छल से मनुष्यों में राग उत्पन्न करने वाला मघुमथन (मधुसूदन कृष्ण) नामका राजा राज्य करता है।
(11) (12) 1. अ. हु। .ब. सं13.3 लों। 4.4.4
5. अ. रहि । 6. अ. दु।
(II) (3) मोनः । (4) मकर. । (5) कर्करः। (12) (1) वृथिव्यां । (2) द्वारवत्य। () सुक | (4) पुरैः। (5) पुणु गोभसे ।